हर साल सावन महीने में कांवड़ यात्रा की शुरुआत होती है. साल 2025 में यह यात्रा 11 जुलाई से शुरू होगी.

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कांवड़िए हरिद्वार, गंगोत्री, गौमुख जैसे पवित्र स्थलों से गंगाजल भरते हैं और पैदल चलकर अपने शहरों के शिव मंदिर तक जाते हैं.

भक्त यह पवित्र जल शिवलिंग पर चढ़ाते हैं. यह अभिषेक पूरी श्रद्धा, संयम और धार्मिक नियमों के अनुसार किया जाता है.

मान्यता है कि गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करने से भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं.

समुद्र मंथन से निकले विष को पीने से शिवजी का शरीर गर्म हो गया, तब देवताओं ने उन्हें गंगाजल अर्पित किया.

आज भी भक्त उसी श्रद्धा से यह परंपरा निभाते हैं और गंगाजल से भगवान शिव को शीतलता देने के लिए कांवड़ यात्रा निकालते हैं.

यह यात्रा केवल धार्मिक नहीं, बल्कि आत्मिक अनुशासन, तप और आस्था का प्रतीक मानी जाती है. 

कांवड़ यात्रा की सारी जानकारी धार्मिक ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित है. 

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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