भोलेनाथ को पूजा में दूध और दही चढ़ाया जाता है. मान्यता है कि जो चीजें भगवान को चढ़ाई जाती हैं, उन्हें व्रत में नहीं खाना चाहिए.

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व्रत में सात्विकता जरूरी मानी जाती है. दूध और दही को पूजन सामग्री मानकर सेवन से परहेज किया जाता है.

सावन में नमी ज्यादा होती है जिससे दूध और दही जैसे डेयरी उत्पाद जल्दी खराब हो सकते हैं. इनमें बैक्टीरिया तेजी से पनपते हैं.

बारिश के मौसम में इम्यूनिटी और पाचन दोनों कमजोर होते हैं. दूध और दही पचाने में भारी होते हैं.

आयुर्वेद के अनुसार, सावन में हल्का और सुपाच्य भोजन करना चाहिए. दूध और दही पाचन में बाधा डाल सकता है.

सावन में कच्चा दूध पीने से बचना चाहिए क्योंकि उसमें हानिकारक बैक्टीरिया पाए जा सकते हैं.

दही में लैक्टोबेसिलस होते हैं, लेकिन बारिश में बैड बैक्टीरिया जल्दी पनपते हैं, जिससे दही जल्दी खराब हो सकती है.

व्रत का उद्देश्य तन और मन की शुद्धि है. इसलिए परंपराओं के अनुसार कुछ खाद्य वस्तुएं को त्यागना पुण्य माना गया है.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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