बाजार में दिखने वाले नए आलू हमेशा असली नहीं होते. पुराने आलू को केमिकल और रंग से नया बना दिया जाता है. 

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इन्हें पहचानना जरूरी है, वरना ये आपकी सेहत के लिए धीमा जहर साबित हो सकते हैं.

पुराने आलू को अमोनिया और तेजाब जैसे केमिकल में डुबोकर उसका छिलका पतला कर दिया जाता है. 

केमिकल-युक्त आलू किडनी और लीवर को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं. लगातार सेवन करने पर पाचन कमजोर होता है.

असली नए आलू का छिलका नाजुक होता है और हल्का रगड़ने पर आसानी से उतर जाता है. 

केमिकल लगे आलू पर गेरुआ रंग और मिट्टी का लेप चढ़ा होता है. पानी से धोने पर यह रंग आसानी से निकल जाता है.

पुराने आलू पर काले धब्बे और चोट के निशान होते हैं. केमिकल इन धब्बों को पूरी तरह छिपा नहीं पाते. 

यदि आलू काटने पर पानी छोड़ने लगे या अंदर से स्पंजी महसूस हो, तो यह नकली हो सकता है. 

नया आलू नवंबर के मध्य से बाजार में आता है. बहुत चमकीले और एक जैसे दिखने वाले आलू न खरीदें.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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