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इसके लिए आकार, छिलके की बनावट, गंध और स्वाद जैसे संकेत मददगार साबित होते हैं.
जैविक आलू अक्सर अनियमित आकार के होते हैं और उनके छिलके पर मिट्टी के दाग या कीड़े के निशान दिख सकते हैं.
जैविक आलू का छिलका मोटा और खुरदरा होता है, जो मिट्टी के प्राकृतिक संपर्क का संकेत है.
कच्चे जैविक आलू में मिट्टी जैसी हल्की गंध होती है, जबकि रासायनिक आलू में यह गंध कम या बिल्कुल नहीं होती.
जैविक आलू पकने पर स्वाद में मीठापन और गहराई लाता है. रासायनिक आलू का स्वाद फीका और कम संतोषजनक होता है.
रासायनिक आलू अंकुरित होने से रोकने के लिए रसायनों से उपचारित होते हैं. जैविक आलू जल्दी अंकुरित हो सकते हैं.
रासायनिक आलू में पानी की मात्रा अधिक होती है, जिससे पकने पर वह चिपचिपा बन सकता है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.