अरंडी सिर्फ सेहत के लिए नहीं, बल्कि बागवानी और मिट्टी के लिए भी वरदान है. 

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इसके पत्तों से मिट्टी उपजाऊ, पौधे हरे-भरे और कीट-मुक्त रहते हैं, जिससे बागबानी आसान और असरदार बनती है.

अरंडी के पत्ते गलते समय नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश छोड़ते हैं, जिससे मिट्टी उपजाऊ होती है.

पत्तों को पौधों के चारों ओर बिछाने से मिट्टी की नमी लंबे समय तक बनी रहती है और खरपतवार कम उगते हैं.

सड़े हुए पत्ते मिट्टी में जैविक तत्व और सूक्ष्मजीव बढ़ाते हैं, जिससे मिट्टी की प्राकृतिक उर्वरता और पौधों की सेहत बेहतर होती है.

अरंडी के पत्तों के विघटन से मिट्टी में मैग्नीशियम, कैल्शियम और आयरन मिलते हैं, जो पौधों को मजबूत बनाते हैं.

पत्तों में रिकिन और एल्कलॉइड जैसे तत्व दीमक, सफेद मक्खी और रस चूसने वाले कीटों को दूर रखते हैं. 

अरंडी पत्तों का घोल पौधों में क्लोरोफिल बढ़ाता है, जिससे पत्तियां हरी-भरी और पौधों की वृद्धि तेज होती है.

अरंडी के रस का उपयोग बीजों को फफूंद और कीटों से बचाने में किया जाता है, जिससे अंकुरण बेहतर होता है.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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