धान की फसल हर साल बीमारियों की चपेट में आती है, जिससे उत्पादन घटता है. 

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समय पर रोग पहचान और सही उपाय अपनाकर किसान अपनी फसल बचाकर मुनाफा बढ़ा सकते हैं.

पत्तियों पर भूरे या ग्रे धब्बे और पीला घेरा दिखे तो झुलसा रोग है. नियंत्रण के लिए संतुलित नाइट्रोजन का इस्तेमाल करें.

पत्तियों और तनों के पास भूरे धब्बे बनें और पौधा कमजोर दिखे. खेत की सफाई और फसल चक्र अपनाकर इससे बचा जा सकता है.

पत्तियां किनारों से पीली होकर सूखने लगती हैं और पौधे मुरझाए दिखते हैं. नियमित निरीक्षण और जैविक उपाय फायदेमंद होते हैं.

जिंक की कमी से पत्तियों का पीला होना. जिंक सल्फेट का छिड़काव कर इस समस्या को आसानी से हल किया जा सकता है.

फसल की वृद्धि और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए नाइट्रोजन को संतुलित मात्रा में दें.

पुराने बचे पौधों और कचरे को हटाएं. फसल चक्र से मिट्टी स्वस्थ रहती है और रोग कम फैलते हैं.

पानी जमा होने से रोग फैलते हैं. खेत में जल निकासी की व्यवस्था से फसल सुरक्षित रहती है.

रोग पहचानने के तुरंत बाद फसल पर उचित जैविक या रासायनिक उपाय करें, ताकि नुकसान कम हो और पैदावार बढ़े.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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