धान की खेती में खरपतवार सबसे बड़ी चुनौती बनकर सामने आते हैं. मकरा घासे खेत की पूरी ताकत खींच लेती है.

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इससे पैदावार घट जाती है. लेकिन पुराने देसी तरीके आज भी फसल को बचाने में कारगर उपाय माने जाते हैं.

पुराने समय के किसान खरपतवार खत्म करने के लिए किसी भी जहरीले रसायन का प्रयोग नहीं करते थे.

देसी तरीकों से खेती करने से अनाज पोषक तत्वों से भरपूर और स्वास्थ्यवर्धक बनता था.

किसान पहले जुताई के बाद खेत को धूप में छोड़ते थे, जिससे घास सूखकर नष्ट हो जाती थी और मिट्टी ताकतवर बनती थी.

जुताई के बाद खेत में पानी भरने से खरपतवार सड़ जाते थे और खेत पूरी तरह साफ होकर नई फसल के लिए तैयार होता था.

धान की रोपाई के बाद जब खरपतवार फिर से उगते थे, किसान खुरपी से हाथों से निकाल देते थे. यह फसल को बचा लेती थी.

किसान चाहें तो इन परंपरागत तरीकों को अपनाकर मिट्टी की शक्ति को बचा सकते हैं.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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