मटर की खेती छोटे और बड़े किसानों दोनों के लिए फायदेमंद है. सही समय पर बुवाई से मुनाफा सुनिश्चित होता है. 

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विशेषज्ञों के अनुसार मटर की बुवाई सितंबर के मध्य में करें. इससे फसल समय पर तैयार होती है.

मटर के लिए दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त है. खेत को 2–3 बार जुताई करके समतल करें, जिससे बीज अच्छी तरह विकसित हो सकें.

मटर के बीज 5–7 सेमी गहराई में बोएं. बुवाई के लिए देसी हल या सीड ड्रिल का उपयोग किया जा सकता है.

एक एकड़ में लगभग 30–35 किलो मटर के बीज की आवश्यकता होती है. उचित मात्रा फसल की बढ़वार और पैदावार बढ़ाती है.

मटर के पौधों के बीच कम से कम 20–25 सेमी की दूरी रखें. इससे हवा और पोषण पर्याप्त मिलता है.

मटर की फसल को ज्यादा पानी नहीं चाहिए. पहली सिंचाई बुवाई के 20–25 दिन बाद करें.

दूसरी सिंचाई फूल या फल आने के समय करें. मटर की फसल बुवाई के लगभग दो महीने में तैयार हो जाती है. 

मटर की कटाई के बाद खेत में मक्का या अन्य सब्जियां उगाई जा सकती हैं, जिससे किसान को अतिरिक्त आय मिलती है.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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