बरसात में 50-60% सूखा चारा और 40-50% हरा चारा दें ताकि पशु को पूरा पोषण मिले और पाचन भी दुरुस्त रहे.

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बारिश में भीगा या सड़ चुका चारा जानवरों में पेट फूलना, कब्ज और 'बंद पड़ना' जैसी गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है.

हर रोज चारे में मिनरल मिक्सचर मिलाएं और महीने में एक बार डॉक्टर की सलाह से डी-वॉर्मिंग जरूर कराएं. 

विटामिन A, D, E और प्रोटीन युक्त भोजन से पशु स्वस्थ, ऊर्जावान रहता है और दूध उत्पादन बना रहता है.

नमक और थोड़ा सरसों का तेल सप्ताह में एक-दो बार देने से पाचन सुधरता है और फंगल संक्रमण से बचाव होता है.

बरसात में चारा गीला हो सकता है, इसलिए पहले से भूसा या सूखी घास स्टोर कर लें और सूखे स्थान पर रखें.

गीले और गंदे बाड़े में बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. रोजाना सफाई करें और पशुओं को सूखी जगह में रखें.

पशुओं को साफ पानी पिलाएं और उनके सोने व बैठने की जगह सूखी और हवादार रखें ताकि संक्रमण से बचाव हो सके.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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