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गांवों में अब खेती के साथ-साथ मुर्गी पालन भी कमाई का नया जरिया बन गया है.
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में विकसित वनश्री नस्ल की मुर्गी किसानों की किस्मत बदल रही है.
यह घर के बचे-खुचे भोजन के टुकड़े, दाना और कचरे को खाकर पल जाती है.
इसकी खासियतें और कम खर्च में ज्यादा उत्पादन के साथ मांस भी महंगा बिकता है.
इस नस्ल ने इसे ग्रामीण भारत का कमाई का हिट फॉर्मूला बना दिया है.
वनश्री नस्ल की मुर्गी देशी नस्ल की एक उन्नत प्रजाति है. इसे असील मुर्गे और एक विदेशी नस्ल से मिलाकर तैयार किया गया है.
इसका रंग हल्का पीला-भूरा होता है और यह अपने तेज व फुर्तीले स्वभाव के लिए जानी जाती है.
यह नस्ल इतनी सक्रिय होती है कि खुद को कुत्तों या बिल्लियों जैसे जानवरों से बचा सकती है.
जरूरत पड़ने पर उन पर हमला भी कर देती है. इस वजह से किसान इसे बिना किसी बड़े सुरक्षा खर्च के खुले वातावरण में पाल सकते हैं.
वनश्री नस्ल की मुर्गी सालभर में लगभग 170 अंडे देती है. बाजार में एक अंडे की कीमत करीब 8 रुपये तक पहुंच जाती है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.