दही हांडी जन्माष्टमी का प्रमुख आकर्षण है, जो कृष्ण के जन्म और उनकी बाल लीलाओं की याद दिलाता है.

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बाल कृष्ण के माखन और दही चुराने की कहानी को इस उत्सव के माध्यम से जीवंत किया जाता है.

दही हांडी परंपरा की शुरुआत महाराष्ट्र में हुई, जो अब देश-विदेश में लोकप्रिय है.

गोविंदाओं की टीमें मानव पिरामिड बनाने का अभ्यास महीनों पहले शुरू करती हैं.

ऊंचाई पर लटकी हांडी में दही, माखन और नकद इनाम रखा जाता है, जिसे तोड़ना उत्सव का लक्ष्य होता है.

मानव पिरामिड टीमवर्क, साहस और सामूहिक प्रयास का संदेश देता है.

मुंबई, पुणे और ठाणे में यह उत्सव बड़े पैमाने पर मनाया जाता है, भीड़ और संगीत के साथ.

दही हांडी हमें बाधाओं को पार करने, भक्ति और उत्साह से जीवन जीने की सीख देता है.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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