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अक्सर इसका कारण बाहर नहीं, बल्कि पेट के अंदर छिपा होता है पेट के कीड़े, जो चुपचाप पशु की ताकत खत्म कर देते हैं.
मानसून और सर्दी के समय पेट के कीड़े तेजी से पनपते हैं, क्योंकि इस मौसम में नमी और तापमान उनके लिए अनुकूल होता है.
ये कीड़े पशु के शरीर में खून और पोषक तत्व चूसते रहते हैं, जिससे ताकत धीरे-धीरे खत्म हो जाती है.
कई बार पशु देखने में ठीक लगता है, लेकिन अंदर ही अंदर वह कमजोर हो चुका होता है.
पेट में कीड़े होने पर पशु सुस्त रहता है, चारा कम खाता है और उठने-बैठने में भी आलस दिखाता है.
आइवरमेक्टिन और फेनबेंडाजोल जैसी दवाएं पेट के कीड़ों को खत्म करने में कारगर हैं.
सही समय पर कृमिनाशक दवा देने से पशु की सेहत सुधरती है और दूध उत्पादन दोबारा बढ़ने लगता है.
गर्भवती पशु को बिना पशु चिकित्सक की सलाह के कोई भी दवा न दें, इससे बड़ा नुकसान हो सकता है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.