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फफूंद वाला अनाज पशुओं की भूख खत्म कर देता है. इससे उनका पेट खराब होता है और दूध देने की क्षमता घट जाती है.
ऐसे अनाज का असर सिर्फ भूख तक सीमित नहीं रहता. यह पशु की प्रजनन क्षमता को भी पूरी तरह खत्म कर सकता है.
फंगस की बीमारी धीरे-धीरे फैलती है और जब तक लक्षण दिखते हैं, तब तक इलाज में बहुत देर हो चुकी होती है.
लोग मानते हैं कि बरसात में ही नमी आती है, जबकि सर्दियों में भी जमीन के पास रखा अनाज सीलन पकड़ सकता है.
अगर अनाज का रंग बदल गया है या उससे दुर्गंध आ रही है, तो उसे तुरंत पशुओं से दूर करें. यह खतरे का संकेत है.
अनाज को हमेशा सूखी, ऊंची और हवादार जगह पर ही स्टोर करें ताकि उसमें नमी न आए और फफूंद का खतरा भी न हो.
साफ और ताजा अनाज देने से पशु न केवल स्वस्थ रहते हैं, बल्कि उनकी दूध देने की क्षमता भी बनी रहती है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.