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बकरियों के पेशाब और मेंगनी से निकलने वाली गैस को मिट्टी सोख लेती है. इसलिए शेड का फर्श भुरभुरी मिट्टी का बनाएं.
जब गंदगी जमा रहती है, तो मीथेन गैस पैदा होती है. ये गैस बकरियों के फेफड़ों में जाकर उन्हें धीरे-धीरे बीमार बनाती है.
मीथेन गैस जमीन से करीब डेढ़ से दो फीट की ऊंचाई तक भर जाती है, जो बकरियों के सांस लेने के स्तर पर होती है.
हॉल में खिड़कियां और ऊंची छत होना जरूरी है ताकि हवा का आवागमन बना रहे और गैस आसानी से बाहर निकल सके.
खराब वेंटिलेशन से बकरियां कमजोर हो जाती हैं, उनका वजन कम होता है और वे बार-बार बीमार पड़ने लगती हैं.
सही शेड, साफ-सफाई और हवादार माहौल से बकरियों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है. इससे दूध उत्पादन बढ़ता है.
शेड बनाते समय शुरुआत से ही तकनीकी सलाह और सतर्कता रखना बेहद जरूरी है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.