बरसात में नमी और गंदगी से खुरपका-मुंहपका जैसे संक्रमण हो सकते हैं. ऐसे में बकरियों को सूखी और हवादार जगह पर रखें.

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बाड़े की फर्श को सूखा बनाए रखने के लिए भूसा या लकड़ी का बुरादा बिछाएं. इससे पैरों में इन्फेक्शन से बचाव होगा.

धूप निकलने के बाद सुबह-सुबह बकरियों को चराने ले जाएं. इससे वह कीट-पतंगों से बची रहेंगी और उन्हें ताजी हवा भी मिलेगी.

दोपहर के समय कीड़े-मकोड़ों की सक्रियता बढ़ जाती है, जिससे बकरियां संक्रमित हो सकती हैं. 

चरते समय बकरियां अक्सर काई या जहरीले पौधे खा लेती ऐसे में चराई क्षेत्र चुनें जहां साफ और सुरक्षित घास हो.

हर 3-4 महीने में पेट के कीड़ों की दवा जरूर दें. इससे बकरियों की भूख, पाचन और वजन सब सामान्य रहेगा. 

बारिश शुरू होने से पहले सभी जरूरी टीके लगवाएं. इससे गंभीर और मौसमी बीमारियों से बकरियों को सुरक्षा मिलेगी.

हरे चारे के साथ नीम की पत्तियां खिलाएं. यह बकरियों की इम्यूनिटी बढ़ाती है और वायरस से बचाती है. 

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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