सोया में मौजूद फाइटोएस्ट्रोजेन थायरॉयड हार्मोन को बनने से रोकता है, जिससे हाइपोथायरॉयडिज्म के लक्षण बढ़ सकते हैं.

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क्रूसिफेरस सब्जियां थायरॉयड को नियंत्रित करने वाले एंजाइमों को प्रभावित करती हैं, जिससे थायरॉयड का काम धीमा होता है.

थायरॉयड और सीलिएक रोग साथ होने पर ग्लूटेन इम्यून सिस्टम को ट्रिगर करता है, जिससे सूजन बढ़ सकती हैं.

अत्यधिक फाइबर थायरॉयड दवाओं के अवशोषण को कम कर देता है, जिससे दवाओं का पूरा लाभ नहीं मिल पाता.

ज्यादा आयोडीन लेने से थायरॉयड असंतुलित हो सकता है और हाइपो या हाइपरथायरॉयडिज्म की आशंका रहती है.

थायरॉयड की दवा को हमेशा खाली पेट लें और उसके बाद कम से कम 30 मिनट तक कुछ न खाएं.

विटामिन-B12, सेलेनियम और जिंक जैसे पोषक तत्व थायरॉयड को बैलेंस रखने में मदद करते हैं, इन्हें भोजन में शामिल करें.

नियमित योग, जैसे सर्वांगासन, और हल्का वर्कआउट तनाव को घटाते हैं और थायरॉयड हार्मोन को बैलेंस में रखते हैं.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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