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प्रसव के 50–60 दिन बाद गर्भाधान कराना चाहिए, ताकि गर्भाशय पूरी तरह सामान्य हो और नया गर्भ अच्छे से टिक सके.
गाय को हर 12 महीने और भैंस को हर 14 महीने में बच्चा देना चाहिए. तभी पशुपालन आर्थिक रूप से सफल हो पाएगा.
गर्भाधान के समय पशु को डराना या जबरदस्ती करना हार्मोनल असंतुलन पैदा करता है. इससे गर्भधारण असफल हो सकता है.
रेक्टो-प्रजनन तकनीक से सीमन को सही स्थान पर डाला जाता है, जिससे सफलता दर ज्यादा होती है.
हीट में आए पशु के व्यवहार में बदलाव जैसे बार-बार मुंह चलाना, दूध की मात्रा घटना या बार-बार चिल्लाना हो सकता है.
गर्भाधान एक तकनीकी प्रक्रिया है. इसे अनुभवी या सरकारी पशु चिकित्सक से ही कराना चाहिए ताकि पशु को नुकसान न हो.
गर्भधारण की सफलता के लिए पशु को संतुलित आहार और स्वच्छ वातावरण देना जरूरी है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.