देशभर में दूध समेत दूध के उत्पाद की बिक्री करने वाली कंपनी अमूल ने दूध के दाम में 2 रुपये प्रति लीटर बढ़ोत्तरी की घोषणा की है. अमूल ब्रांड नाम से दूध और मिल्क प्रोडक्ट की बिक्री गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन महासंघ (GCMMF) करती है. अमूल से 1 दिन पहले ही मदर डेयरी ने भी दूध के दाम में 2 रुपये की बढ़ोत्तरी की है. दूध का दाम बढ़ने से उपभोक्ता की जेब पर हल्की होगी, लेकिन सवाल है कि क्या इस बढ़ोत्तरी का लाभ दूध उपलब्ध कराने वाले किसानों को मिल सकेगा.
1 मई से दूध की नई कीमतें लागू होंगी
कंपनी की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि देश में सभी प्रकार के अमूल दूध की कीमतों में 1 मई (गुरुवार) से 2 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की जाएगी, यह घोषणा बुधवार को लोकप्रिय डेयरी ब्रांड के स्वामित्व वाले विपणन महासंघ ने की है.
एमआरपी में 4 फीसदी का इजाफा
गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन महासंघ (GCMMF) ने एक विज्ञप्ति में कहा कि 2 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी से एमआरपी (अधिकतम खुदरा मूल्य) में 3-4 फीसदी का इजाफा होगा, जो औसत खाद्य मुद्रास्फीति से काफी कम है. गुजरात के आणंद स्थित महासंघ ‘अमूल’ ब्रांड के तहत डेयरी उत्पादों की बिक्री करता है.
अब कितना हो जाएगा दाम
कंपनी के अनुसार कीमतों में बदलाव के बाद गुजरात में अमूल गोल्ड के 500 मिलीलीटर पाउच की कीमत अब 34 रुपये होगी, जबकि अमूल शक्ति 500 मिलीलीटर पाउच की कीमत 31 रुपये होगी.
मदर डेयरी ने 2 रुपये महंगा किया है दूध
मदर डेयरी ने आज बुधवार 30 मई से दूध की कीमतों में 2 रुपये प्रति लीटर तक की बढ़ोतरी की है. कंपनी के एक अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि नई कीमतें 30 अप्रैल 2025 से दिल्ली एनसीआर समेत उन सभी क्षेत्रों में लागू होंगी, जहां मदर डेयरी अपने प्रोडक्ट बेचती है. मदर डेयरी अपने आउटलेट, जनरल ट्रेड और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के जरिए दिल्ली-एनसीआर मार्केट में हर दिन लगभग 35 लाख लीटर दूध बेचती है.
किसानों को नहीं मिलता कीमत बढ़ोत्तरी का लाभ – गुणी प्रकाश
भारतीय किसान यूनियन मान गुट के हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष और एमएसपी कमेटी के सदस्य गुणी प्रकाश ने कहा कि दूध कंपनियां दूध की महंगाई कर रही हैं, जिससे उपभोक्ता को महंगा पड़ रहा है, लेकिन जो डेयरी किसान इस दूध को कंपनियों को बेच रहा है उसे इस दाम बढ़ोत्तरी का फायदा नहीं मिल रहा है.
उन्होंने कहा कि डेयरी किसानों को दूध उत्पादन लागत के आधार पर दूध का दाम तय किया जाना चाहिए दूध उत्पादन लागत में पशु का चारा, दवाई, मानव श्रम आदि पहलुओं को ध्यान में रखते हुए दाम तय होना चाहिए. किसान नेता ने कहा कि अगर आकलन करें तो किसानों को 100 रुपये दूध लागत पड़ती है. लेकिन, उन्हें 42 रुपये में बेचना पड़ रहा है. जबकि, कई गुना अधिक दाम पर उपभोक्ताओं को दूध बेचती हैं.
किसान नेता ने कहा कि कंपनियां दूध का दाम किसानों के लिए नहीं बढ़ाती हैं. उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि डेयरी किसान से दूध 42 रुपये प्रति लीटर खरीदा जाता है. लेकिन, उसी दूध से बनी लस्सी 70 रुपये लीटर में बिकती है. जबकि, लस्सी बनाने से पहले दूध की क्रीम आदि निकालकर अलग दाम पर बेच ली जाती है. उन्होंने कहा कि बाजार में 70 फीसदी नकली दूध बिक रहा है, जिससे लोगों को कैंसर और घातक बीमारियां हो रही हैं. नकली दूध पर पूरी तरह रोक लगाई जाए.
डेयरी किसानों को नहीं मिलता है कीमत बढ़ोत्तरी का लाभ – शेखर दीक्षित
उत्तर प्रदेश में सक्रिय किसान संगठन राष्ट्रीय किसान मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष शेखर दीक्षित ने किसान इंडिया को बताया कि कंपनियां तो दूध का दाम बढ़ाकर उपभोक्ताओं की जेब हल्की करती हैं. लेकिन, इस दाम की बढ़ोत्तरी का फायदा किसानों तक नहीं पहुंचता है. उन्होंने कहा कि डेयरी किसानों को दूध का जो रेट पहले मिल रहा था वही अभी भी मिल रहा है.