तोतापुरी बकरी किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है. यह नस्ल अपने ज्यादा दूध, स्वादिष्ट मांस और कम देखभाल की जरूरत के कारण लोकप्रिय है. दक्षिण भारत से शुरू होकर अब देशभर में इसका पालन तेजी से बढ़ रहा है, जिससे किसानों की आमदनी बढ़ रही है.
सोनाली मुर्गी एक हाइब्रिड देसी नस्ल है जो कम खर्च में ज्यादा अंडे और मांस देती है. यह हर मौसम में आसानी से पनप जाती है. किसानों के लिए यह नस्ल ग्रामीण क्षेत्रों में आय बढ़ाने का शानदार जरिया बन चुकी है.
भारत में डेयरी बिजनेस की रीढ़ बन चुकी है मुर्रा भैंस. इसकी दूध देने की क्षमता, स्वास्थ्य और लोकप्रियता इसे सबसे खास बनाती है. किसान इसकी मदद से अच्छी कमाई कर रहे हैं और विदेशी बाजारों में भी इसकी मांग बढ़ रही है.
खेरी नस्ल की भेड़ किसानों के लिए आय का नया स्रोत बन रही है. यह कम चारे और पानी में भी जीवित रहती है और ऊन व मांस दोनों का उत्पादन देती है. ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है.
देसी मुर्गा पालन अब पढ़े-लिखे युवाओं के लिए एक कम लागत वाला मुनाफेदार बिजनेस बन गया है. मात्र 30 हजार रुपए में घर की छत पर 40-50 मुर्गियां पालकर हर साल एक लाख रुपए से अधिक कमाया जा सकता है.
ग्रामीण इलाकों में बकरी पालन अब कमाई का नया जरिया बन गया है. कम पूंजी में शुरू होने वाला यह व्यवसाय किसानों को हर महीने हजारों रुपये की आय दे रहा है. दूध, मांस और खाद से होने वाली तिहरी कमाई ने गांवों की अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी है.