खेरी नस्ल की भेड़ किसानों के लिए आय का नया स्रोत बन रही है. यह कम चारे और पानी में भी जीवित रहती है और ऊन व मांस दोनों का उत्पादन देती है. ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है.
देसी मुर्गा पालन अब पढ़े-लिखे युवाओं के लिए एक कम लागत वाला मुनाफेदार बिजनेस बन गया है. मात्र 30 हजार रुपए में घर की छत पर 40-50 मुर्गियां पालकर हर साल एक लाख रुपए से अधिक कमाया जा सकता है.
ग्रामीण इलाकों में बकरी पालन अब कमाई का नया जरिया बन गया है. कम पूंजी में शुरू होने वाला यह व्यवसाय किसानों को हर महीने हजारों रुपये की आय दे रहा है. दूध, मांस और खाद से होने वाली तिहरी कमाई ने गांवों की अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी है.
पंजाब सरकार ने राज्य की जलीय जैव विविधता को बढ़ावा देने के लिए रोहू को स्टेट फिश घोषित किया है. इस पहल के तहत किसानों को 30.63 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जा रही है. इससे मछली पालन को नई दिशा और किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी होगी.
भारत के समुद्री निर्यात में झींगे (Shrimp) का योगदान सबसे ज्यादा है. स्वास्थ्य के प्रति जागरूक उपभोक्ताओं के बीच झींगे की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है क्योंकि यह उच्च प्रोटीन वाला और कम वसा युक्त भोजन है. भारतीय किसान अब छोटे और मध्यम आकार के झींगे पर ध्यान दे रहे हैं, जिनकी मांग यूरोप और एशिया में अधिक है.
बीकानेर के नेशनल रिसर्च सेंटर ऑन कैमल की रिपोर्ट के अनुसार ऊंटनी का दूध कई बीमारियों में फायदेमंद है. इसमें प्राकृतिक इंसुलिन और जरूरी पोषक तत्व पाए जाते हैं. अब देशभर में इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है और इसे भविष्य का दूध माना जा रहा है.