पहले विश्व युद्ध के दौरान खेती में मशीनों की मांग तेजी से बढ़ी. इस दौर ने ट्रैक्टर को किसानों के बीच बेहद लोकप्रिय बना दिया.
इस योजना के तहत कृषि क्षेत्र के अलग-अलग वैज्ञानिक और किसान एकसाथ जुड़ते हैं जिसकी मदद से किसानों को समय-समय पर कृषि से जुड़े सुझाव दिए जाते हैं. इसके साथ ही किसानों को कृषि तकनीक और उपकरणों के इस्तेमाल को लेकर ट्रेनिंग दी जाती है.
जैसे हमारे मोबाइल में GPS हमें रास्ता दिखाता है, वैसे ही खेती में ये तकनीक खेतों की सटीक जानकारी देकर किसानों की मेहनत को आसान और मुनाफे वाला बना रही है.
केंद्र सरकार की कृषि मशीनीकरण उप मिशन (SMAM) योजना के तहत किसानों को कंबाइन हार्वेस्टर पर 50 फीसदी तक सब्सिडी मिल रही है. इस स्कीम के तहत लघु-सीमांत और महिला किसानों को प्राथमिकता दी जा रही है.
सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि ट्रैक्टर के मूल ढांचे में गैर-कानूनी बदलाव करना अपराध है और इसके लिए ₹1 लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.
कृषि कार्यों को आसान करने के लिए बाजार में मूवर्स और ट्रिमर मशीनों के कई विकल्प मौजूद हैं. कई कंपनियां मॉडल और फीचर्स के साथ पेश कर रही हैं. गार्डनिंग की जरूरत और जगह के हिसाब से आप इन मशीनों को चुन सकते हैं.