बड़े काम की है रेडियम पट्टी, सड़क हादसों में मवेशियों की जान बचाने के लिए सींगों में बांध रहे मितुल व्यास

मानसून में छुट्टा मवेशी कीड़ों से बचने के लिए सड़कों पर बैठे रहते हैं. ऐसे में रात के समय ये मवेशी वाहन चालक को ठीक से दिखाई नहीं देते हैं जिससे दुर्घटना होती है.

Kisan India
नोएडा | Published: 15 Aug, 2025 | 04:42 PM

मानसूनी सीजन वैसे तो बहुत सुहाना होता है. लेकिन मवेशियों के लिए ये मौसम काफी चुनौती भरा होता है. इस दौरान छुट्टा मवेशी कीड़ों से बचने के लिए सड़कों पर बैठे रहते हैं. ऐसे में रात के समय ये मवेशी वाहन चालकों को ठीक से दिखाई नहीं देते हैं जिससे दुर्घटना होती हैं. ऐसे में इन दुर्घटनाओं से बचने के लिए गुजरात के मितुल व्यास अपने दोस्तों के साथ मिलकर मवेशियों के गले में रेडियम पट्टियां बांध रहे हैं. उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य मवेशी और राहगीरों के टकराव की घटनाओं को घटाना है.

पिछले 5 साल से बचा रहें हैं पशुओं को

पशु अधिकार कार्यकर्ता मितुल व्यास बीते 5 साल से छुट्टा पशुओं को रेडियम पट्टी बांधकर उनकी जान और राहगीरों की जिंदगी बचाने का काम कर रहे हैं. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार मुतुल व्यास ने बताया कि वह और उनके स्वंयसेवक साथियों ने मवेशियों के सींगों पर रेडियम की पट्टियां लगाते हैं ताकि उन्हें आसानी से हटाया न जा सके. उन्होंने कहा हमारा प्रयास कम से कम 10 परसेंट दुर्घटनाओं को रोकना है.

सींगों पर बांधते हैं रेडियम पट्टी

मितुल व्यास कहते हैं कि अवारा मवेशियों पर रेडियम की पट्टियां लगाने में उन्हें सालाना लगभग 10-15 हजार रुपए का खर्च आता है. उन्होंने कहा कि मैं पिछले पांच सालों से यही काम कर रहा हूं. पहले हम मवेशियों के गले में रेडियम का पट्टा बांधते थे, लेकिन उसके फिसल जाने या मवेशी मालिक द्वारा उसे हटा दिए जाने का खतरा रहता था. इसलिए अब हम इसे सींगों पर भी बांध देते हैं ताकि इसे आसानी से न निकाला जा सके.

राजमार्गों पर ज्यादा खतरा

व्यास ने बताया कि वे यह काम गुजरात के हिम्मतनगर शहर से गुजरने वाले राजमार्गों पर कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि राजमार्गों की तुलना में शहर की सड़कों पर ऐसी दुर्घटनाओं की संभावना कम होती है. औसतन हम हर दिन ऐसी दो दुर्घटनाएं देखते हैं. व्यास के अनुसार मालिक मवेशियों को विशेषकर दूध न देने वाले मवेशियों को, शहर की सड़कों पर छोड़ देते हैं जिससे यातायात में परेशानी पैदा होती है.

आगे की योजना पर उन्होंने बताया कि हिम्मतनगर में कुल 3,000-3,500 मवेशी होंगे, जन्माष्टमी के बाद प्रशासन की मदद से सभी मवेशियों में टैग लगाने की योजना बना रहे हैं. सभी मवेशियों पर टैग लगाने के बाद, सड़कों पर पाए जाने वाले मवेशियों को जब्त कर लिया जाएगा और उनके मालिक पर जुर्माना लगाया जाएगा.

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