अगर आप आम के शौकीन हैं और अब तक आपने इस आम का स्वाद नहीं चखा है, तो आप वाकई कुछ खास मिस कर रहे हैं. कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले में उगने वाला कारी इशाद (Kari Ishad) आम का नाम तो सुना ही होगा. यह आम न सिर्फ अपने खास स्वाद और खुशबू के लिए जाना जाता है, बल्कि इसकी बनावट और गूदे की मात्रा भी इसे बाकियों से अलग होती है.
सुगंध-स्वाद और गूदे से भरा होता है कारी इशाद आम
कारी इशाद आम को उसकी अनोखी सुगंध, बेहतरीन स्वाद, भरपूर गूदा और खास आकार के लिए जाना जाता है. यह आम आकार में बड़ा होता है और इसका शेप थोड़ा तिरछा और ओवल तक होता है. यह मिठास में भरपूर और छिलका बेहद पतला होता है, जिससे इसका हर हिस्सा खाने लायक होता है. करी इशाद आम की दो किस्में होती हैं.
- 1. कारी इशाद: पतली छिलके वाली, ज्यादा गूदेदार और बेहद मीठी
- 2. बिली इशाद: मोटी छिलके वाली, कम गूदा और थोड़ी कम मिठास
कहां होती है करी इशाद की खेती
इस आम की फसल मई के मध्य से शुरू होती है और एक परिपक्व पेड़ एक मौसम में औसतन 2000 फल तक दे सकता है. कारी इशाद आम की खेती अंकोला के अलावा, कारवार और कुछ हद तक उत्तर कन्नड़ के कुमता में भी होती है. यह मुख्य रूप से अंकोला के बेलसे, शेटेगेरी, बेलम्बरा, मोगाटा, वंदिगे गांवों तक फैले हुए हैं. वंदिगे गांव तो इस किस्म का सबसे बड़ा उत्पादक माना जाता है, जहां से हर साल करीब 600 टन आम होता है वहीं बेलसे गांव में करीब 1,500 करी इषद के पेड़ मौजूद है.
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GI टैग से क्या मिलेगा फायदा
कारी ईशाद आम को 2023 में जीआई (Geographical Indication – GI) टैग भी मिल चुका है. जिसे इसकी पहचान और मांग देश विदेशों में भी अधिक बढ़ गई है. आम की पहचान और प्रतिष्ठा और भी बढ़ गई है. GI टैग का मतलब होता है कि किसी उत्पाद की पहचान उस विशेष भौगोलिक क्षेत्र से जुड़ी हो. यानी कारी इशाद आम अब सिर्फ एक आम ही नहीं, बल्कि उत्तर कन्नड़ के अंकोला की विशेष पहचान बन चुका है.
भारत सरकार के उद्योग और वाणिज्य मंत्रालय के तहत यह टैग दिया गया है. इस टैग से अब उत्पादकों को बाजार में बेहतर दाम, ब्रांड वैल्यू और अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलेगी. साथ ही नकली और मिलावटी उत्पादों पर रोक लग सकेगी.