भारत विश्व का सबसे बड़ा मसाला उत्पादक, उपभोक्ता और निर्यातक देश है. साल 2024-25 में मसालों के निर्यात में 6 फीसदी की वृद्धि हुई है, जो पिछले साल के 4.46 अरब डॉलर से बढ़कर 4.72 अरब डॉलर हो गया.
इस साल सोयाबीन किसानों को मंडी में फसल का सही दाम नहीं मिल रहा है. MSP से कम दाम और आयात शुल्क में कटौती से उनकी परेशानियां बढ़ गई हैं. किसान नेताओं का कहना है कि ये कदम चुनावी फायदे के लिए हैं, जिसका सीधा नुकसान किसानों को हो रहा है.
इस बार आम की अच्छी पैदावार हुई, लेकिन मंडी में कीमत सिर्फ 4 रुपये प्रति किलो मिलने से किसान संकट में हैं. किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और मुआवजे की मांग कर रहे हैं.
कोयंबटूर के करीब 200 प्याज किसान पिछले साल की फसल बेच नहीं पाने के कारण संकट में हैं. 600 टन प्याज शेड में सड़ने की कगार पर है. व्यापारी खरीद में रुचि नहीं दिखा रहे हैं.
मॉनसून की दस्तक के साथ ही प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी शुरू हो गई है. इससे आम जनता के किचन का बजट बिगड़ रहा है. सबसे ज्यादा प्याज का रेट अंडमान निकोबार में दर्ज किया गया है.
बाजार विशेषज्ञों के मुताबिक, पशु आहार के रूप में कपास खली की मांग बढ़ रही है, और इसी मांग के चलते कारोबारियों ने नए सिरे से खरीदारी शुरू की है.