भारी बारिश और बाढ़ के कारण चंडीगढ़ में सब्जियों की कीमतें दो से तीन गुना तक बढ़ गई हैं. लौकी, तोरई और बैंगन 100-120 रुपये किलो, जबकि मटर 200 रुपये किलो तक पहुंच गई है. सप्लाई प्रभावित होने से आम जनता पर महंगाई की मार पड़ी है.
घरेलू बाजार में प्याज बेचने के फैसले की आलोचना महाराष्ट्र प्याज उत्पादक संघ के अध्यक्ष भारत दिघोले ने भी की है. उनका कहना है कि केंद्र सरकार को प्याज के निर्यात पर सब्सिडी देनी चाहिए और जो प्याज खरीदा गया है, उसे विदेश भेजा जाना चाहिए.
मंडी में दो हफ्ते पहले जो टमाटर 40 प्रति किलो थे, अब 20 रुपये से नीचे आ गए हैं. हालांकि, व्यापारियों का कहना है कि इस हफ्ते आवक बढ़ी है, इसलिए दाम गिरे हैं.
इस साल बरसात में सब्जियों के दाम तीन साल के निचले स्तर पर रहे. प्याज, आलू और दालों की कीमतों में बड़ी गिरावट से वेज और नॉन-वेज थाली सस्ती हुई. टमाटर महंगा हुआ, पर बाकी सब्जियां सस्ती रहीं.
केरल के इडुक्की जिले में कंथल्लूर-वट्टावाडा लहसुन की कीमत ओणम के दौरान 400-600 रुपये से गिरकर 50-80 रुपये प्रति किलो रह गई, जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ.
महाराष्ट्र में प्याज की गिरती कीमतों से परेशान किसानों ने 12 से 19 सितंबर तक अनोखे आंदोलन का ऐलान किया है. राज्य प्याज उत्पादक संघ के नेतृत्व में किसान मंत्रियों और जनप्रतिनिधियों को फोन कर अपनी समस्याएं बताएंगे और जवाब मांगेंगे.