खेत की जुताई में न हो गलती, ट्रैक्टर के अनुसार चुनें सही टाइन वाला कल्टीवेटर

हर ट्रैक्टर की अपनी क्षमता होती है और उसी के हिसाब से कल्टीवेटर चुनना जरूरी है. आमतौर पर माना जाता है कि हर 5 से 6 हॉर्सपावर पर एक टाइन का कल्टीवेटर आराम से चल सकता है. छोटे ट्रैक्टरों में कम टाइन का कल्टीवेटर बेहतर रहता है, जिससे इंजन पर अनावश्यक दबाव न पड़े.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 22 Dec, 2025 | 09:03 AM
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खेती में जुताई और खेत की तैयारी का काम जितना आसान दिखता है, उतना होता नहीं. सही औजार न हो, तो मेहनत भी ज्यादा लगती है और नतीजा भी कमजोर मिलता है. कल्टीवेटर ऐसा ही एक जरूरी कृषि यंत्र है, जो मिट्टी को भुरभुरा करने, खरपतवार हटाने और बुवाई से पहले खेत तैयार करने में अहम भूमिका निभाता है. लेकिन अक्सर किसानों के मन में यह सवाल रहता है कि उनके ट्रैक्टर के लिए कितने टाइन वाला कल्टीवेटर सही रहेगा. अगर इसमें जरा भी चूक हुई, तो डीजल ज्यादा जलेगा, ट्रैक्टर पर दबाव बढ़ेगा और खेत की जुताई भी सही नहीं होगी.

ट्रैक्टर की ताकत के अनुसार सही कल्टीवेटर

हर ट्रैक्टर की अपनी क्षमता होती है और उसी के हिसाब से कल्टीवेटर चुनना जरूरी है. आमतौर पर माना जाता है कि हर 5 से 6 हॉर्सपावर पर एक टाइन का कल्टीवेटर आराम से चल सकता है. छोटे ट्रैक्टरों में कम टाइन का कल्टीवेटर बेहतर रहता है, जिससे इंजन पर अनावश्यक दबाव न पड़े. वहीं ज्यादा हॉर्सपावर वाले ट्रैक्टर बड़े और चौड़े कल्टीवेटर को आसानी से खींच लेते हैं. सही संतुलन रखने से खेत की जुताई जल्दी होती है और ईंधन की भी बचत होती है.

मिट्टी का प्रकार भी करता है बड़ा फर्क

सिर्फ ट्रैक्टर की ताकत देखकर कल्टीवेटर चुनना काफी नहीं होता, मिट्टी की किस्म भी उतनी ही अहम है. अगर खेत की मिट्टी नरम या रेतीली है, तो थोड़ा बड़ा कल्टीवेटर भी आसानी से चल जाता है. लेकिन काली, भारी या सख्त मिट्टी में ज्यादा टाइन वाला कल्टीवेटर ट्रैक्टर पर जोर डाल सकता है. ऐसी जमीन में बेहतर यही रहता है कि सुझाए गए साइज से एक-दो टाइन कम रखे जाएं. पथरीली जमीन के लिए मजबूत फ्रेम और स्प्रिंग वाला कल्टीवेटर ज्यादा टिकाऊ साबित होता है.

दोपहिया और चारपहिया ड्राइव का असर

ट्रैक्टर का ड्राइव सिस्टम भी कल्टीवेटर के चुनाव में भूमिका निभाता है. चारपहिया ड्राइव ट्रैक्टरों में ग्रिप और ताकत ज्यादा होती है, इसलिए वे थोड़ा बड़ा कल्टीवेटर भी संभाल लेते हैं. वहीं दोपहिया ड्राइव ट्रैक्टर में उतनी पकड़ नहीं होती, इसलिए उसमें वही साइज रखना बेहतर है जो हॉर्सपावर के हिसाब से सुझाया गया हो. गलत साइज लेने पर ट्रैक्टर फिसलने लगता है और काम की रफ्तार घट जाती है.

हाइड्रोलिक क्षमता को न करें नजरअंदाज

कई किसान सिर्फ हॉर्सपावर देखकर कल्टीवेटर खरीद लेते हैं, लेकिन ट्रैक्टर की हाइड्रोलिक लिफ्ट क्षमता भी उतनी ही जरूरी है. अगर कल्टीवेटर भारी है और ट्रैक्टर की हाइड्रोलिक क्षमता कम है, तो उसे उठाने और मोड़ने में दिक्कत आएगी. इससे काम के दौरान समय भी ज्यादा लगेगा और मशीन पर भी असर पड़ेगा. इसलिए खरीद से पहले हाइड्रोलिक क्षमता जरूर जांचनी चाहिए.

सही चुनाव से मिलेगा ज्यादा फायदा

अगर ट्रैक्टर और खेत के हिसाब से सही टाइन वाला कल्टीवेटर चुना जाए, तो जुताई बेहतर होती है, डीजल की बचत होती है और ट्रैक्टर की उम्र भी बढ़ती है. गलत साइज लेने पर बार-बार मरम्मत, ज्यादा खर्च और कम काम जैसी परेशानियां सामने आती हैं. इसलिए कल्टीवेटर खरीदते समय ट्रैक्टर की ताकत, मिट्टी की किस्म, ड्राइव सिस्टम और हाइड्रोलिक क्षमता को ध्यान में रखना बेहद जरूरी है. सही फैसला न सिर्फ आपकी मेहनत कम करेगा, बल्कि खेती को भी ज्यादा लाभदायक बनाएगा.

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