किसान जब फसल बोने की तैयारी करते हैं तो सबसे पहली जरूरत होती है खेत की अच्छे से जुताई. इसके लिए किसान कल्टीवेटर नाम के एक खास कृषि यंत्र का इस्तेमाल करते हैं. यह यंत्र ट्रैक्टर से जोड़ा जाता है और खेत की मिट्टी को भुरभुरा, उपजाऊ और बुवाई के अनुकूल बनाता है. आइए जानते हैं कि कल्टीवेटर कैसे करता है खेत की तैयारी को आसान और फसल की पैदावार को बेहतर.
कल्टीवेटर से खेत की मिट्टी बनती है भुरभुरी
कल्टीवेटर का मुख्य काम होता है मिट्टी को तोड़ना और उसे नरम बनाना. जब खेत की मिट्टी सख्त होती है तो बीज ठीक से अंकुरित नहीं हो पाते. लेकिन कल्टीवेटर से जुताई करने पर मिट्टी में हवा का संचार बढ़ता है, जिससे नमी लंबे समय तक बनी रहती है. इससे बीजों को उगने के लिए एक बेहतर माहौल मिलता है और फसल अच्छी होती है.
मिट्टी की नमी और जलधारण क्षमता बढ़ाने सक्षम
कल्टीवेटर से खेत की गहरी जुताई होती है. इससे मिट्टी की परतें पलट जाती हैं और अंदर की नमी ऊपर आ जाती है. यह प्रक्रिया खासकर ऐसे इलाकों में बेहद काम की है जहां सिंचाई की सुविधा कम है. कल्टीवेटर से जुताई करने से मिट्टी की जलधारण क्षमता बढ़ती है, जिससे फसल को लंबे समय तक पानी मिलता है और सूखे की स्थिति में भी नुकसान कम होता है.
खरपतवार और कीटों से राहत
खेत में मौजूद खरपतवार यानी जंगली घास फसल की उपज को नुकसान पहुंचाते हैं. कल्टीवेटर की मदद से इन खरपतवारों को जड़ों समेत मिट्टी में मिला दिया जाता है, जिससे वे सड़कर जैविक खाद का काम करने लगते हैं. साथ ही कल्टीवेटर की गहराई से कीट और उनके अंडे भी नष्ट हो जाते हैं, जिससे फसल को रोगों से बचाव मिलता है.
बुवाई से पहले की सबसे जरूरी प्रक्रिया
खेती की सफलता का बड़ा हिस्सा खेत की तैयारी पर निर्भर करता है. फसल बुवाई से पहले कल्टीवेटर से जुताई करने पर खेत समतल हो जाता है और बीजों की लाइनिंग आसान होती है. इससे बीज समान गहराई पर बोए जाते हैं, जो फसल की एक समान वृद्धि के लिए जरूरी है. कुल मिलाकर कल्टीवेटर न सिर्फ मेहनत को कम करता है बल्कि फसल की पैदावार भी बढ़ाता है.