मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र को उड़द का एक प्रमुख उत्पादक इलाका माना जाता है. लेकिन इस बार यहां लगातार अधिक बारिश ने फसलों को नुकसान पहुंचाया है. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर बारिश ऐसे ही जारी रही तो उत्पादन पर और असर पड़ सकता है.
हाल ही में पंजाब सरकार ने बासमती चावल में पाए जाने वाले अवशेषों के कारण 12 कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगाया था. अब दो और रसायनों थायमेथॉक्सम और टेबुकोनाजोल को लेकर विवाद खड़ा हो गया है.
इस साल मानसून ने अच्छा साथ दिया है. 1 जून से 28 जुलाई के बीच देशभर में औसतन 7 फीसदी ज्यादा वर्षा हुई है. खासकर मध्य भारत और उत्तर-पश्चिमी राज्यों में सामान्य से काफी अधिक बारिश हुई, जिससे बुवाई का काम समय पर शुरू हो पाया.
मदुरै में अधिक स्टॉक की वजह से खुले बाजार में करुप्पु कवुनी धान की थोक कीमतें 35 रुपये प्रति किलो से भी नीचे गिर गई हैं. मांग न होने और व्यापारी न मिलने के कारण सैकड़ों बोरी धान बिक नहीं पा रही हैं और गोदामों में ही पड़ी रह गई हैं.
उत्तर प्रदेश कृषि विभाग किसानों से लगातार फसल बीमा कराने की अपील कर रहा है. वित्तीय वर्ष 2024-25 में बेमौसम बारिश होने के कारण धान की फसल बर्बाद हो गई थी जिसकी भरपाई सरकार द्वारा की गई थी.
बासमती धान का प्रमाणित बीज 75 से 100 रुपये प्रति किलो की दर पर उपलब्ध है. एक हेक्टेयर में बुवाई करने पर बासमती धान के 20 किलो बीज की जरूरत होती है और फसल 110 से 115 दिनों में पककर तैयार हो जाती है.