Odisha paddy procurement: ओडिशा के केओंझार जिले में धान के बढ़े हुए MSP का गलत फायदा उठाने को लेकर एक बड़ा घोटाला सामने आया है. सहकारिता विभाग द्वारा कराए गए सैटेलाइट सर्वे में खुलासा हुआ कि करीब एक लाख फर्जी जमीनों पर धान की खेती दिखाई गई थी. इस साल जिले में 79,108 किसानों ने धान बेचने के लिए पंजीकरण कराया था, लेकिन संख्या असामान्य रूप से ज्यादा होने पर प्रशासन को शक हुआ. जांच में अब तक 65,000 से ज्यादा फर्जी प्लॉट सामने आए हैं. हैरानी की बात यह है कि सड़कों, तालाबों, श्मशान घाटों, रिहायशी इलाकों और यहां तक कि रेलवे की जमीन को भी धान की खेती के रूप में दिखाया गया. अधिकारियों को शक है कि इस पूरे फर्जीवाड़े में बिचौलियों की अहम भूमिका रही है, जिन्होंने MSP बढ़ोतरी का फायदा उठाने के लिए फर्जी रजिस्ट्रेशन कर सरकारी पैसे की हेराफेरी की.
जांच प्रक्रिया के तहत पहले 97,799 प्लॉट को संदिग्ध माना गया था. अब तक 53,402 प्लॉट का सर्वे पूरा हो चुका है, जिनमें से 48,722 से ज्यादा प्लॉट फर्जी पाए गए हैं. इतनी बड़ी गड़बड़ी सामने आने से जिला प्रशासन हैरान है. सर्वे विशेषज्ञ बिभीषण नायक ने कहा कि गुमराह मौजा के खाता नंबर 55, प्लॉट नंबर 665 में एक एकड़ से ज्यादा जमीन पंजीकृत दिखाई गई थी, जबकि वहां कोई खेती नहीं है और वह जमीन रेलवे की है. उन्होंने कहा कि कुल पंजीकृत जमीनों में सिर्फ 20 फीसदी पर ही खेती हुई है, बाकी 80 फीसदी पूरी तरह फर्जी हैं.
सर्वे कार्य को तेज करने का फैसला किया
ओडिशा टीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रशासन ने अब बाकी बचे सर्वे कार्य को तेज करने का फैसला किया है. जिला आपूर्ति अधिकारी परशुराम पात्रा ने कहा कि सभी फर्जी प्लॉट खारिज किए जाएंगे और उन्हें खेती के लिए अयोग्य घोषित किया जाएगा. साथ ही, घोटाले में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी. इस खुलासे ने कल्याणकारी योजनाओं के दुरुपयोग पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं और असली किसानों के हितों की रक्षा के लिए कड़ी निगरानी व्यवस्था की जरूरत को उजागर किया है.
किसानों में गुस्सा बढ़ते जा रहा है
वहीं, संबलपुर जिले में धान खरीदी में देरी हो रही है. इससे किसानों में गुस्सा बढ़ते जा रहा है. ऊपर से धान की अधिक कटौती ने किसानों को और आक्रोशित कर दिया है. ऐसे में नाराज किसानों ने शुक्रवार को जिले भर में जोरदार प्रदर्शन किया. इस दौरान सड़कों पर जाम लग गया. आक्रोशित किसानों का कहना है कि धान खरीद में टोकन मिलने में देरी हो रही है और ऊपर से धान की अधिक कटौती की जा रही है. इससे किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है.