धान की बुवाई करने से पहले पंचगव्य से बीजों का इस तरह करें उपचार, बढ़ जाएगी पैदावार

पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में धान की बुवाई शुरू हो गई है. किसान बीज उपचार के लिए रासायनिक दवाओं की जगह पंचगव्य अपनाकर कम लागत में अधिक उत्पादन पा सकते हैं.

नोएडा | Updated On: 27 May, 2025 | 04:08 PM

पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में धान की नर्सरी तैयार करने के लिए बुवाई शुरू हो गई है. किसान धान बुवाई करने से पहले बीजों को उपचारित करने के लिए रासायनिक दवाइयों का धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं. लेकिन किसान रासायनिक दवाइयों की जगह पंचगव्य का इस्तेमाल करते हैं, तो उन्हें कम लगात में अधिक उत्पादन मिलेगा. क्योंकि शोध में ये साबित हो गया है कि पंचगव्य जैविक खेती के लिए रामबाण है. पंचगव्य से बीजों का उपचार करने के बाद बुवाई करने से वे जल्दी अंकुरित होते हैं. साथ ही उसमें कीड़े और रोग लगने की संभावना बहुत कम रहती है.

क्या होता है पंचगव्य

इस्तेमाल करने से पहले किसानों के लिए यह जानना जरूरी है कि आखिर पंचगव्य होता क्या है. दरअसल पंचगव्य एक तरह का देसी और पारंपरिक जैविक मिश्रण है. इसे घी, गोमूत्र, गाय के दूध, दही और गोबर से तैयार किया जाता है. यह मिश्रण पोषत तत्वों से भरपूर होता है. इसका इस्तेमाल करने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ जाती है और फसल भी रोगमुक्त रहते हैं.

कैसे करें पंचगव्य का इस्तेमाल

धान की बुवाई करने से पहले बीजों को पंचगव्य में भिगोकर कुछ घंटों के लिए छोड़ दें. इससे बीज में अंकुरण शक्ति बढ़ जाती है. साथ ही बुवाई करने पर उसमें फफूंद भी नहीं लगते हैं. ऐसे में बीज कीटों से भी सुरक्षित रहते हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि पंचगव्य का खेती में प्रयोग करने से मिट्टी की उर्रवरा शक्ति में भी सुधार होता है. इससे फसलों की ग्रोथ अच्छी होती है और जड़ों को भी मजबूती मिलती है. क्योंकि पंचगव्य में मौजूद पोषक तत्व और हार्मोन से पौधों का विकास प्राकृतिक रूप होता है. इससे धान के पौधे हरे-भरे और निरोग रहते हैं.

पंचगव्य पूरी तरह से जैविक उत्पाद

खास बात यह है कि किसान अगर चाहें, तो पंचगव्य का खेत में खाद के रूप में छिड़काव भी कर सकते हैं. इससे पैदावार में बढ़ोतरी होगी और खेती लागत में भी गिरावट आएगी. क्योंकि रासायनिक खाद और कीटनाशकों के मुकाबले पंचगव्य बहुत सस्ता होता है. किसान इसे घर पर खुद से तैयार कर सकते हैं. इससे खेती की लागत कम हो जाएगी. सबसे बड़ी बात यह है कि पंचगव्य का कोई साइड इफेक्ट्स नहीं है. यह बिल्कुल जैविक उत्पाद है. इससे पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुंचता है. साथ ही इसके इस्तेमाल से केंचुए को भी नुकसा नहीं होता है.

Published: 27 May, 2025 | 04:03 PM