महाराष्ट्र के नासिक जिले में 2024-25 (दिसंबर से अप्रैल) सीजन के दौरान रबी प्याज का उत्पादन पिछले साल की तुलना में 63 फीसदी बढ़ा है. राज्य कृषि विभाग के अनुसार, इस साल नासिक में करीब 59 लाख टन प्याज पैदा हुआ, जबकि 2023-24 में यही मात्रा 36 लाख टन थी. इस बढ़त की वजह प्याज की खेती का क्षेत्र बढ़ना है. साल 2023-24 में यहां प्याज का रकबा 1.4 लाख हेक्टेयर था, जो 2024-25 में बढ़कर 2.5 लाख हेक्टेयर हो गया. औसतन प्रति हेक्टेयर 23.4 टन प्याज उत्पादन हुआ. फिलहाल लासलगांव APMC में प्याज का थोक भाव 1,600 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है.
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, मई की बारिश से करीब 5 फीसदी फसल को नुकसान जरूर हुआ, लेकिन फिर भी उत्पादन काफी अच्छा रहा, जिससे अक्टूबर तक प्याज की सप्लाई बनी रहेगी. मार्च-अप्रैल में तैयार होने वाली गर्मी की प्याज खास होती है, क्योंकि यह 6-7 महीने तक खराब नहीं होती. जबकि खरीफ और लेट खरीफ की प्याज (अक्टूबर से फरवरी में कटाई) एक महीने में ही खराब हो जाती है. स्टोरेज की यह क्षमता किसानों को फायदा देती है. वे प्याज को तब बेच सकते हैं जब मंडियों में दाम अच्छे मिलें या जब उन्हें पैसे की जरूरत हो.
लासलगांव APMC में प्याज का ताजा रेट
फिलहाल लासलगांव APMC में प्याज का थोक भाव 1,600 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है, जो पिछले साल इसी समय 1,500 रुपये प्रति क्विंटल था. इस सीजन में थोक भाव 1,400 से 2,000 रुपये प्रति क्विंटल के बीच रहने की उम्मीद है. महाराष्ट्र प्याज उत्पादक संघ के अध्यक्ष भरत दिघोले के मुताबिक, प्याज की खेती पर किसानों की लागत करीब 1,800 रुपये प्रति क्विंटल आती है. जबकि पिछले कुछ महीनों से प्याज के थोक भाव 1,050 से 1,600 रुपये प्रति क्विंटल के बीच रहे हैं, जिससे किसानों को घाटा उठाना पड़ रहा है.
2,000 रुपये प्रति क्विंटल की आर्थिक मदद
दिघोले ने मांग की है कि जिन किसानों ने कम दाम में प्याज बेची है, उन्हें सरकार 2,000 रुपये प्रति क्विंटल की आर्थिक मदद दे. उन्होंने कहा कि थोक दाम गिरने की वजह सरकार की गलत नीतियां हैं. उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार ने पहले ही 3 लाख टन प्याज खरीदने का ऐलान किया है, ताकि स्टॉक बनाया जा सके. यह खरीद नाफेड (NAFED) और एनसीसीएफ (NCCF) जैसी सरकारी एजेंसियों के जरिए की जाएगी. दिघोले की मांग है कि ये दोनों एजेंसियां APMC मंडियों से सीधे किसानों से 3,000 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर प्याज खरीदें, ताकि किसानों को उनका वाजिब दाम मिल सके.