Karnataka News: कर्नाटक में किसानों को दोहरी मार पड़ी है. एक तरफ लगातार हो रही भारी बारिश और फंगल बीमारी की वजह से जहां खरीफ प्याज को नुकसान हुआ है, वहीं दूसरी ओर कीमत में गिरावट आने के चलते किसानों को आर्थिक हानि हो रही है. भारी बारिश का आलम यह है कि कित्तूर इलाके, विजयनगर और बल्लारी जिले के कई हिस्सों में 50 फीसदी से ज्यादा प्याज खराब हो गई है. ऐसे में स्थानीय मंडियों (APMC) में छोटी और खराब क्वालिटी की प्याज को खरीदार नहीं मिल रहे हैं. इससे प्याज की कीमतें भी काफी गिर गई हैं. हब्बल्ली APMC मंडी में स्थानीय प्याज की कीमत 500 से 1,350 रुपये प्रति क्विंटल चल रही है, जबकि पुणे का प्याज 800 से 1,900 रुपये में बिक रहा है. पिछले साल इसी समय स्थानीय प्याज के दाम 3,000 से 4,000 रुपये प्रति क्विंटल थे.
खास बात यह है कि कर्नाटक, विजयनगर और बल्लारी के किसानों को पहले ही मूंग, उड़द और सोयाबीन की फसलों में भारी नुकसान झेलना पड़ा था. अब प्याज की फसल भी खराब होने से उनकी मुश्किलें और बढ़ गई हैं. उत्तर कर्नाटक के धारवाड़, बेलगावी, बागलकोट, विजयपुरा, हावेरी, गदग, चित्रदुर्ग, बल्लारी और कोप्पल जिलों में बड़े पैमाने पर प्याज की खेती होती है. इन इलाकों की प्याज हब्बल्ली APMC मंडी में बिकती है, जो यहां की मुख्य मंडी मानी जाती है. हालांकि, मंडियों में प्याज की आवक शुरू हो गई है, लेकिन अचानक कीमतों में आई भारी गिरावट ने किसानों को परेशान कर दिया है.
धारवाड़ में 6,300 हेक्टेयर में प्याज की खेती
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल धारवाड़ में 6,300 हेक्टेयर में प्याज की खेती हुई थी, लेकिन लगातार बारिश और फंगल बीमारी की वजह से 50 फीसदी से ज्यादा फसल बर्बाद हो गई. जो फसल बची भी, उसकी क्वालिटी खराब हो गई, जिससे दाम और गिर गए. वहीं, स्थानीय प्याज को ट्विस्टर डिजीज और सड़न जैसी बीमारियों ने नुकसान पहुंचाया है, जबकि पुणे के प्याज बाजार में दाम तय कर रहे हैं. ऐसे में स्थानीय किसान लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं.
किसान खेत में ही छोड़ रहे प्याज
गदग जिले के मुंडरगी तालुका के डोनी गांव के किसान सिद्धलिंगप्पा ने कहा कि उन्होंने 1.5 एकड़ में प्याज उगाने में 70,000 रुपये खर्च किए थे, लेकिन बारिश से फसल खराब हो गई और सिर्फ 58 बोरी प्याज ही निकले, जिसकी बिक्री से सिर्फ 25,000 रुपये मिले. अब तक बोवाई और मजदूरी की लागत भी नहीं निकल पाई है. किसान सोमप्पा ने कहा कि पहले वे 50- 60 एकड़ में प्याज की खेती करते थे, लेकिन लगातार दाम गिरने के चलते अब सिर्फ 2 एकड़ में ही प्याज उगाई है. इस बार उन्होंने इनपुट पर 70,000 रुपये खर्च किया, जबकि फसल कटने में अभी दो हफ्ते बाकी हैं और दाम पहले ही गिर चुके हैं. कई किसानों ने तो अपनी खुदाई की हुई प्याज को खेतों में ही सड़ने के लिए छोड़ दिया है.