बारिश है या आफत, देखते ही देखते बर्बाद हो गई 1 करोड़ एकड़ कृषि रकबा.. अब क्या करें किसान

महाराष्ट्र में भारी बारिश के बाद बाढ़ प्रभावित जिलों में स्थिति गंभीर बनी हुई है. बांधों से लगातार पानी छोड़ा जा रहा है, जिससे बड़े क्षेत्र जलमग्न हैं. 41,067 लोग सुरक्षित आश्रयों में हैं, जबकि 1.01 करोड़ एकड़ फसलें बर्बाद हुई हैं. राहत कार्य के दौरान सोलापुर में शिवसेना और प्रशासन के बीच विवाद भी हुआ.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 30 Sep, 2025 | 12:16 PM

Maharashtra News: मुंबई में सोमवार को बारिश की रफ्तार कम हो गई, लेकिन महाराष्ट्र के बाढ़ प्रभावित जिलों में स्थिति अभी भी गंभीर बनी हुई है, क्योंकि बांधों से पानी लगातार छोड़ा जा रहा है. इस वजह से ग्रामीण इलाकों में कई बड़े क्षेत्र अब भी पानी में डूबे हुए हैं. खास बात यह है कि भारी बारिश के एक हफ्ते बाद भी हालात नहीं सुधरे हैं. सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, 21 सितंबर से अब तक 41,067 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया है, जबकि अगस्त से अब तक 1.01 करोड़ एकड़ कृषि भूमि की फसलें बर्बाद हो चुकी हैं.

पिछले हफ्ते, राज्य सरकार ने 31,64,000 किसानों के लिए 2,215 करोड़ रुपये का राहत पैकेज मंजूर  किया था. लेकिन तुरंत राहत पहुंचाने के लिए सोमवार को स्थानीय अधिकारियों को जिला विकास कोष के 5 फीसदी फंड का इस्तेमाल बचाव और राहत कार्यों के लिए करने की अनुमति दी गई है. इसमें प्रभावित ग्रामीणों को आश्रय और भोजन देना, जानवरों के लिए चारा, बाढ़ प्रभावित  इलाकों की सफाई और अस्थायी मरम्मत शामिल हैं.

कहां कितनी हुई फसल बर्बादी

हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सबसे ज्यादा फसल नुकसान  17 जिलों में हुआ है, जिसमें सबसे गंभीर नुकसान नांदेड़ (18,20,122 एकड़), अहिल्यनगर (15,62,480 एकड़), बीड (15,00,690 एकड़), सोलापुर (10,20,917 एकड़) और जलना (9,59,457 एकड़) में हुआ है. रिपोर्ट्स के अनुसार, 21 सितंबर से अब तक 12 जिलों में कुल 41,067 लोगों को सुरक्षित आश्रयों में शिफ्ट किया गया है. राज्य के राहत और पुनर्वास विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि 4,167 आश्रयों में हम 41,067 लोगों को खाना, पानी आदि उपलब्ध करा रहे हैं. सोलापुर जिले में सबसे ज्यादा विस्थापित 75 आश्रयों में 13,724 लोग हैं, जबकि हजारों लोग घर लौटने का इंतजार कर रहे हैं.

हजारों लोगों के घर लौटने का इंतजार

बाढ़ का खतरा अभी भी बना हुआ है, क्योंकि कई बांधों के फ्लडगेट सोमवार को भी खुले रहे. इनमें जयकवाड़ी बांध (जो गोदावरी नदी में पानी छोड़ता है), सीना-कोलेजोआन बांध (सीना नदी में), गंगापुर बांध (गोदावरी में), जलगांव का हटनूर बांध और नासिक का गिरना बांध शामिल हैं. राज्य अभी भी फसल नुकसान, सार्वजनिक ढांचे और सुविधाओं को हुए नुकसान का आंकड़ा इकट्ठा कर रहा है.

राजनीतिक फायदा उठाने का आरोप

सोलापुर में राहत कार्य के दौरान थोड़ी नाखुशी भी देखने को मिली, जब जिले के कलेक्टर ने शिव सेना के प्रवक्ता पर गंभीर स्थिति का राजनीतिक फायदा  उठाने का आरोप लगाया. शिव सेना की प्रवक्ता ज्योति 3,000 बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए 200 किट लेकर आई थीं. जब किट खत्म हो गईं, तो वाघमारे ने जिला कलेक्टर कुमार आशिर्वाद को फोन करके स्थानीय प्रशासन पर राहत कार्य में कमी का आरोप लगाया. कलेक्टर ने उनसे कड़क लहजे में कहा कि प्रशासन को अपना काम करने दें. एक वीडियो जो सोशल मीडिया  पर वायरल हुआ है, उसमें आशिर्वाद वाघमारे से पूछते नजर आते हैं कि जहां 3,000 लोग आश्रय में हैं, वहां उन्होंने सिर्फ 200 किट क्यों लाईं. बाद में वाघमारे ने कहा कि उन्होंने कलेक्टर को कोई खास फायदा पाने के लिए कॉल नहीं किया था.

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Published: 30 Sep, 2025 | 11:29 AM

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