Haryana News: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बुधवार को मांग की कि गन्ने का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) कम से कम 500 रुपये प्रति क्विंटल तय किया जाए. इससे प्रदेश के हजारों गन्ना किसानों को फायदा होगा. हुड्डा ने अपने कैंप कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए यह भी घोषणा की कि वह अपनी एक महीने की MLA सैलरी मुख्यमंत्री राहत कोष में देंगे और अन्य विधायकों से भी ऐसा करने की अपील की. उन्होंने हाल ही में हुई भारी बारिश और बाढ़ से किसानों को हुए नुकसान का जिक्र करते हुए सरकार से मांग की कि मंडी शुल्क को कम से कम 1 फीसदी तक घटाया जाए. हुड्डा का कहना है कि बाढ़ और बारिश से पूरे राज्य में करीब 30 लाख एकड़ फसलें प्रभावित हुई हैं और 5 लाख से ज्यादा किसानों को नुकसान हुआ है.
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने नायब सैनी सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि बाढ़ प्रभावित परिवारों की मदद करने में सरकार पूरी तरह नाकाम रही है, जबकि बाढ़ को एक महीना हो चुका है. हुड्डा ने पिछले हफ्ते बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया और कहा कि उन्होंने वहां लोगों का दर्द खुद महसूस किया. हुड्डा ने यह भी कहा कि किसानों को प्रति एकड़ लगभग 1 लाख रुपये का नुकसान हुआ है, इसलिए उन्हें जल्द से जल्द उचित मुआवजा मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह बाढ़ सिर्फ सरकार की लापरवाही ही नहीं, बल्कि उसकी भ्रष्ट व्यवस्था को भी उजागर करती है.
पहली ही बारिश में तालाब बन गए शहर
भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि शहरों में अमृत योजना और सीवरेज सफाई के नाम पर घोटाले किए गए, जिसका नतीजा यह हुआ कि पहली ही बारिश में पूरे शहर तालाब बन गए. गांवों और खेतों में नहरों की सफाई नहीं हुई और न ही ड्रेनों के किनारे मजबूत किए गए. हुड्डा ने आरोप लगाया कि कई गांवों में पाइपलाइन बिछाने के नाम पर भी घोटाले हुए, लेकिन जब बाढ़ आई तो पानी निकासी के लिए ये पाइपलाइनें बेकार साबित हुईं.
इनेलो और जेजेपी पर हुड्डा का हमला
इनेलो पर टिप्पणी करते हुए हुड्डा ने कहा कि इनेलो और जेजेपी, दोनों ही बीजेपी की बी-टीम हैं. उन्होंने कहा कि बीजेपी हरियाणा में कांग्रेस का सीधा सामना नहीं कर सकती, इसलिए ऐसे दलों के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ती है. उन्होंने याद दिलाया कि पिछली बार बीजेपी ने जेजेपी के सहारे ‘प्रॉक्सी’ लड़ाई लड़ी थी और इस बार उसने इनेलो से गठबंधन किया है. हुड्डा ने कहा कि सिरसा में तो बीजेपी ने अपना उम्मीदवार तक वापस ले लिया, ताकि इनेलो समर्थक गोपाल कांडा की जीत सुनिश्चित हो सके. कांडा का बयान भी इस बात का सबूत है कि बीजेपी-इनेलो के बीच अंदरखाने गठबंधन हो चुका है.