पशुओं के खून चूसते हैं ये कीड़े, बरसात में इससे बचाव के लिए पशुपालक तुरंत करें ये काम

बरसात के मौसम में जानवरों के शरीर पर किलनी की समस्या तेजी से बढ़ रही है. यह कीड़े खून चूसते हैं और जानवरों को बीमार कर देते हैं. समय पर इलाज और साफ-सफाई से इससे बचाव किया जा सकता है.

Kisan India
नोएडा | Published: 7 Sep, 2025 | 06:35 PM

बरसात का मौसम खेती-बाड़ी के लिए भले ही फायदेमंद हो, लेकिन यही मौसम पशुपालकों के लिए कई तरह की परेशानियां भी लेकर आता है. इस समय जानवरों के शरीर पर किलनी (Ticks) यानी खून चूसने वाले कीड़ों की समस्या बहुत तेजी से बढ़ जाती है. अगर समय रहते इसका सही इलाज न किया जाए, तो यह समस्या जानवरों के लिए जानलेवा भी साबित हो सकती है. ऐसे में ऐ जानना जरूरी है कि किलनी क्या होती है, यह क्यों खतरनाक है, इसका सही इलाज क्या है और किन बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है.

क्या होती है किलनी और क्यों है खतरनाक?

किलनी छोटे-छोटे कीड़े होते हैं जो जानवरों की त्वचा से चिपककर उनका खून चूसते  रहते हैं. ये कीड़े धीरे-धीरे पशुओं को कमजोर बना देते हैं. इनकी वजह से खुजली, जलन और बुखार जैसी दिक्कतें हो सकती हैं. लंबे समय तक किलनी के शरीर पर रहने से जानवर का वजन घटने लगता है, दूध देने की क्षमता कम हो जाती है और कई बार संक्रमण इतना बढ़ जाता है कि जानवर की मौत तक हो सकती है.

सिर्फ जानवर नहीं, उनका रहने का स्थान भी करें साफ

कई बार पशुपालक किलनी की दवा जैसे ब्यूटाक्स (Butox) का इस्तेमाल तो करते हैं, लेकिन सिर्फ पशुओं के शरीर पर लगाने से ही रुक जाते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, विशेषज्ञों का कहना है कि किलनी का जड़ से इलाज तभी संभव है जब पशुओं के साथ-साथ उनके रहने की जगह यानी बाड़ा, खूटे, और आसपास की जगहों को भी दवा से साफ किया जाए. 1 लीटर पानी में 2 बूंद ब्यूटाक्स मिलाकर उसका छिड़काव जानवरों के रहने की जगह पर करने से किलनी दोबारा नहीं आती.

इलाज की सही विधि और समय

किलनी से छुटकारा पाने के लिए दवा का इस्तेमाल केवल एक बार नहीं, बल्कि नियमित रूप से करना जरूरी है. रिपोर्ट्स के अनुसार, ब्यूटाक्स या अन्य दवाओं का छिड़काव हर 15 दिन में एक बार करना चाहिए. यह प्रक्रिया कम से कम 7 से 8 बार दोहरानी चाहिए ताकि किलनी के अंडों और उनके जीवन चक्र को पूरी तरह रोका जा सके. ध्यान रखें कि दवा का असर पूरी तरह हो, इसके लिए स्प्रे करते समय हर कोने, दीवार, और फर्श पर अच्छी तरह दवा लगाई जाए.

इलाज के समय इन बातों का रखें खास ध्यान

जब भी दवा का छिड़काव किया जाए, उस समय पशुओं को खुले स्थान पर 7–8 घंटे तक रखें. दवाओं में तेज गंध और रसायन होते हैं, जो बंद जगहों में पशुओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं. कई बार इससे सांस लेने में दिक्कत, घबराहट या अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं. इसलिए जब भी बाड़े में दवा का छिड़काव हो, पशुओं को खुली हवा में रखें और साफ पानी पिलाएं.

बचाव बेहतर है इलाज से- सावधानी ही सबसे बड़ा उपाय

बरसात के मौसम में नमी और गंदगी की वजह से किलनी तेजी से पनपती है. इसलिए सबसे जरूरी है कि पशुपालक अपने जानवरों के आसपास की जगह को साफ और सूखा रखें. हर हफ्ते बाड़े की सफाई करें, गंदा चारा न डालें और जहां तक हो सके जानवरों को धूप में बैठाएं. धूप से किलनी और अन्य कीट खत्म होते हैं. साथ ही समय-समय पर पशु चिकित्सक से सलाह लेते रहें और अगर जानवरों में किसी भी तरह की खुजली या गांठ नजर आए तो तुरंत इलाज शुरू करें.

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Published: 7 Sep, 2025 | 06:35 PM

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