खून पीने वाले चमगादड़ों से कैसे बचाएं अपने पशु? जानिए असरदार उपाय

वैम्पायर चमगादड़ आमतौर पर रात के समय सक्रिय होते हैं. ये पशुओं के छोटे घाव या बिना बाल वाले हिस्सों (जैसे कान, गर्दन या पैरों) को निशाना बनाते हैं और वहां से खून चूसते हैं.

नोएडा | Published: 10 Apr, 2025 | 11:57 AM

खेती-बाड़ी में इस्तेमाल होने वाले दुधारू और कामकाजी पशु, किसानों की सबसे बड़ी ताकत होते हैं. लेकिन इन बेजुबान जानवरों पर अक्सर ऐसा खतरा मंडराता है, जिसे कई लोग नजरअंदाज कर देते हैं. ये खतरा है खून पीने वाले चमगादड़, जिन्हें वैम्पायर बैट्स कहा जाता है.

ये चमगादड़ पशुओं को काटते हैं और उनके खून से अपना पेट भरते हैं. सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि इनके काटने से रेबीज जैसी जानलेवा बीमारी फैल सकती है, जो पशुओं और इंसानों दोनों के लिए खतरनाक होती है.

चमगादड़ों की संख्या कैसे घटाएं?

वैज्ञानिकों ने वैम्पायर चमगादड़ों की आबादी को कम करने के लिए एक तरीका निकाला है, जिसे “वैम्पिरिसाइड” कहा जाता है. यह एक खास तरह का जहर होता है, जिसे पहले पकड़े गए चमगादड़ों के शरीर पर लगाया जाता है. जब ये चमगादड़ वापस अपने झुंड में जाते हैं, तो दूसरे चमगादड़ों के संपर्क में आने से जहर धीरे-धीरे पूरे समूह में फैल जाता है और उनकी संख्या घटती है.

हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरीके का इस्तेमाल बहुत सोच-समझकर करना चाहिए. अगर ज्यादा चमगादड़ मारे जाते हैं तो पर्यावरण पर भी असर पड़ सकता है, और रेबीज का खतरा पूरी तरह खत्म नहीं होता.

अपने पशुओं का टीकाकरण कराएं

रेबीज से बचाने का सबसे आसान और सुरक्षित तरीका है कि अपने पशुओं को रेबीज रोधी टीका लगवाया जाए. यह टीका पशुओं को बीमारी से बचाता है, लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि यह तरीका कुछ इलाकों में महंगा साबित हो सकता है, खासकर उन ग्रामीण इलाकों में, जहां संसाधन कम होते हैं और वैम्पायर चमगादड़ों का खतरा ज्यादा होता है.

अब चमगादड़ों को ही दी जा रही है वैक्सीन

नई रिसर्च के मुताबिक वैज्ञानिक अब एक और अनोखा तरीका अपना रहे हैं, चमगादड़ों को ही वैक्सीन देना. इसके लिए एक ऐसा वायरस लिया गया है जो सिर्फ वैम्पायर चमगादड़ों में पाया जाता है. इस वायरस को जेनेटिक रूप से बदला गया है और उसमें रेबीज के खिलाफ काम करने वाले जीन डाले गए हैं.

जब ये वायरस एक चमगादड़ से दूसरे में फैलता है, तो उसके साथ-साथ वैक्सीन भी फैलती है. इससे बिना पकड़ने के ही कई चमगादड़ वैक्सीन ले लेते हैं और बीमारी फैलने का खतरा कम हो जाता है.

किसानों की जागरूकता भी है जरूरी

चमगादड़ों से अपने पशुओं को बचाने के लिए केवल वैज्ञानिक तकनीकों पर निर्भर रहना काफी नहीं है. किसानों की जागरूकता और सतर्कता भी उतनी ही जरूरी है, क्योंकि कई बार समय पर सही कदम न उठाने से नुकसान बढ़ जाता है.

चमगादड़ कब और कैसे करते हैं हमला?

वैम्पायर चमगादड़ आमतौर पर रात के समय सक्रिय होते हैं. ये पशुओं के छोटे घाव या बिना बाल वाले हिस्सों (जैसे कान, गर्दन या पैरों) को निशाना बनाते हैं और वहां से खून चूसते हैं. एक बार जिस जानवर पर ये हमला करते हैं, अगली बार फिर उसी को चुनते हैं, क्योंकि उन्हें उसकी गंध और आदत पहचान में आ जाती है.

क्या करें किसान?

रात में पशुओं को खुले में न रखें- कोशिश करें कि गाय, भैंस और अन्य दुधारू पशुओं को रात के समय किसी ढंके हुए शेड या बाड़े में रखा जाए, ताकि चमगादड़ उन तक न पहुंच सकें.

शेड को साफ और बंद रखें- पशुओं के शेड को हमेशा साफ और अच्छी तरह से बंद रखें. छत या दीवारों में छेद न होने दें, क्योंकि चमगादड़ बहुत छोटे रास्तों से भी अंदर घुस सकते हैं.

घाव का तुरंत इलाज करें- अगर किसी पशु के शरीर पर काटने का निशान या घाव दिखे, तो उसे नजरअंदाज न करें. तुरंत पशु डॉक्टर को दिखाएं. जरूरत पड़ने पर रेबीज रोधी दवा या इंजेक्शन लगवाएं. साथ ही घाव को साफ रखें और संक्रमण से बचाने के लिए मरहम लगाएं.

पशुओं पर हल्का कपड़ा या जाल डालें- कुछ किसान रात के समय पशुओं पर पतला कपड़ा या मच्छरदानी जैसा जाल डालते हैं, जिससे चमगादड़ सीधे संपर्क में नहीं आ पाते.

पास के पेड़ों पर नजर रखें- चमगादड़ अक्सर पेड़ों पर उलटे लटके रहते हैं. अगर आपके खेत या शेड के पास पेड़ों पर उनकी मौजूदगी हो, तो उन पर नजर रखें और ज़रूरत पड़े तो स्थानीय अधिकारियों से संपर्क करें.

पड़ोसी किसानों से साझा करें जानकारी- आसपास के किसान भी अगर इन उपायों को अपनाएं तो इलाके में चमगादड़ों के हमले का खतरा काफी हद तक कम किया जा सकता है.

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