एचजी-2-20 (HG-2-20), ग्वार की इस किस्म को चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार द्वारा विकसित किया गया है. इसकी खासियत है कि यह अंगारी रोग और जल गलन रोगों के प्रति सहनशील होती है.
धान के खेत में मछली पालन कर किसान एक ही जमीन से दो तरह की कमाई कर सकते हैं. इससे खेत उपजाऊ बनता है, पानी की बचत होती है और कम खर्च में ज्यादा आमदनी मिलती है.
उत्तर प्रदेश में गन्ना बीज नर्सरियों की संख्या दोगुनी हुई है. सरकार का प्रयास है कि किसानों को ज्यादा और बेहतर क्वालिटी के प्रमाणित बीज देने की, जिससे उनका उत्पादन बढ़ सके.
स्ट्रॉबेरी को पत्ते खाने वाले कीट, चीटियां या फफूंदी जैसी बीमारियां परेशान कर सकती हैं. कोशिश करें कि रासायनिक दवाइयों की बजाय घरेलू जैविक उपायों जैसे नीम का छिड़काव या तुलसी-गेंदा जैसे साथी पौधों की मदद लें.
सिर्फ मशीन बदलने से खेती की तस्वीर बदल सकती है. ये आधुनिक यंत्र कम मेहनत में ज्यादा पैदावार और मुनाफा देने में कारगर साबित हो रहे हैं.
किसानों से अपील की गई है कि वे पुसा-44 और कुछ हाइब्रिड किस्मों की खेती से बचें, क्योंकि इनसे मिट्टी की सेहत पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ता है. साथ ही, पीएम किसान सम्मान निधि जैसी सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने की भी सलाह दी गई है.