बिहार में पान उत्पादन करने वाले किसानों के लिए प्रदेश सरकार ने एक नई पहल की है. प्रदेश के उप मुख्य मंत्री और कृषि मंत्री विजय सिन्हा ने बताया कि चतुर्थ कृषि रोड मैप के तहत पान उत्पादक किसानों के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना – ‘पान विकास योजना’ को लागू किया गया है. उन्होंने बताया कि इस योजना को लागू करने का उद्देश्य प्रदेश के पान उत्पादन करने वाले किसानों की आय में वृद्धि करना है. उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए कुल 499.375 लाख के खर्च को मंजूरी दे दी गई है.
7 जिलों में पान की खेती का विस्तार
कृषि मंत्री विजय सिन्हा ने बताया कि ‘पान विकास योजना’का मुख्य उद्देश्य राज्य के सात पान उत्पादक जिलों – नालन्दा, नवादा, गया, औरंगाबाद, शेखपुरा, वैशाली और सारण के इच्छुक किसानों को पान की खेती में विस्तार करने के लिए उनकी जरूरत के अनुसार वित्तीय सहायता देना है , जिसके लिए प्रदेश सरकार किसानों को सब्सिडी मुहैया कराएगी. उन्होंने बताया कि सरकार की इस पहल से न केवल पान की खेती का विस्तार होगा बल्कि पान उत्पादन करने वाले किसानों का हौसला भी बढ़ेगा और उनकी आमदनी में भी बढोतरी होगी. बता दें कि इस योजना को वित्तीय वर्ष 2024-25 से 2025-26 तक दो वर्षों के लिए मंजूर किया गया है.
लॉटरी के माध्यम से होगा लाभार्थियों का चुनाव
उप मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री विजय सिन्हा ने बताया कि प्रदेश सरकार की इस योजना के तहत बिहार के मशहूर मगही पान और देशी पान की खेती करने वाले किसानों को और एफपीसी के सदस्यों को कम से कम 100 वर्गमीटर से लेकर अधिकतम 300 वर्गमीचर तक खेती करने पर लाभ दिया जाएगा. सरकार की तरफ से दी जाने वाली सब्सिडी के तहत हर किसान को कम से कम 11 हजार 750 रुपये और ज्यादा से ज्यादा 35 हजार 250 रुपये की सहायता राशि सब्सिडी के तौर पर दी जाएगी. बता दें कि इस योजना का लाभ उठाने वाले लाभार्थियों का चुनाव ऑनलाइन लॉटरी सिस्टम के के माध्यम से किया जाएगा, ताकि पारदर्शिता और निष्पक्षता को बनाया जा सके.
किसानों को दी जाएगी खेती की जानकारी
कृषि मंत्री विजय सिन्हा ने बताया कि पानी की खेती के लिए सब्सिडी देने के अलावा उद्यान निदेशालय द्वारा किसानों को समय-समय पर ट्रेनिंग और जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से पान उत्पादन की नई तकनीकों की जानकारी भी उपलब्ध कराई जाएगी. उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार की ये योजना बिहार के पारम्परिक पान उत्पादन को वैज्ञानिक आधार देने और आधुनिक कृषि पद्धतियों को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक प्रभावी कदम है.