सरकारी खजाने को लगातार चपत लगा रहे चावल मिलर्स, क्या अब सरकार करेगी तगड़ी कार्रवाई?

हर साल चावल मिलर डिफॉल्ट करते हैं, जिससे सरकार को भारी नुकसान होता है. पिछले सीजन में पांच मिलरों ने 22 करोड़ रुपये का कस्टम मिल्ड राइस नहीं दिया. FIR दर्ज और संपत्तियां जब्त की गई हैं, लेकिन खरीद एजेंसी के अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं हुई.

Kisan India
नोएडा | Published: 26 Dec, 2025 | 01:37 PM
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Haryana News: हरियाणा के करनाल जिले में हर साल चावल मिलर डिफॉल्ट करते आ रहे हैं, लेकिन खरीद और वसूली की जिम्मेदारी संभालने वाली एजेंसियों के अधिकारियों पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है. इससे पूरे सिस्टम में जवाबदेही और नियमों के पालन पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं. साल 2023- 24 के धान खरीद सीजन में जिले के पांच राइस मिलरों ने करीब 22 करोड़ रुपये का कस्टम मिल्ड राइस (CMR) सरकार को नहीं सौंपा. खास बात यह है कि ऐसा पहली बार नहीं है. इससे पहले 2022- 23 में भी पांच मिलर डिफॉल्टर रहे थे. 2021- 22 में दो, 2020- 21 में पांच और 2019- 20 में चार मिलरों ने CMR नहीं दिया. बड़ी बात यह है कि  इससे सरकार को नुकसान हो रहा है.

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, यह सिलसिला सालों से चलता आ रहा है. 2017- 18 में तीन, 2016- 17 में एक, 2015- 16 में चार, 2014- 15 में छह और 2013- 14 में तो 16 मिलर डिफॉल्ट कर चुके हैं. इन लगातार चूकों से सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हालांकि डिफॉल्टर मिलरों के खिलाफ FIR दर्ज की जाती है और उनकी संपत्तियां जब्त  की जाती हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों में किसी भी खरीद एजेंसी के अधिकारी के खिलाफ चार्जशीट नहीं बनी और उन्हें जिम्मेदार नहीं ठहराया गया. अधिकारी ने आरोप लगाया कि कई मामलों में मिलरों के स्टॉक और संपत्तियों को सही तरीके से सुरक्षित नहीं किया गया, जिससे वसूली प्रक्रिया कमजोर हो गई. उन्होंने यह भी कहा कि कभी-कभी वही डिफॉल्टर मिलर नए फर्म के नाम से फिर से धान प्राप्त कर लेते हैं.

संपत्तियों की नीलामी प्रक्रिया जल्द शुरू होगी

एक अन्य अधिकारी ने कहा कि सख्त वसूली के बजाय एजेंसियां अक्सर आंशिक भुगतान स्वीकार कर लेती हैं और आगे के भुगतान के लिए चेक का भरोसा लेती हैं. उन्होंने कहा कि किस्तों में पैसे लेने से बकाया धान  की असली समस्या हल नहीं होती. कर्नाल जिला खाद्य और आपूर्ति नियंत्रक (DFSC) अनिल कुमार ने कहा कि पिछले सीजन के पांच डिफॉल्टर मिलरों को नोटिस भेजा गया है और उनकी चावल मिल, दुकान और आवासीय संपत्तियां जब्त कर दी गई हैं. उन्होंने कहा कि जब्त की गई संपत्तियों की नीलामी प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी, ताकि बकाया राशि वसूल की जा सके.

बकाया राशि जल्द चुकाने का भरोसा दिया

इन पांच मिलरों में से कुछ ने आंशिक भुगतान कर दिया है और उन्होंने शेष बकाया राशि  जल्द चुकाने का भरोसा दिया है. DFSC ने कहा कि लापरवाही के मामलों में खरीद एजेंसी के अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट करने के प्रावधान मौजूद हैं, लेकिन उन्होंने यह नहीं कहा कि अब तक कितने अधिकारियों पर कार्रवाई हुई है. उन्होंने कहा कि जिम्मेदार अधिकारियों के नाम मुख्यालय को भेज दिए गए हैं और आगे की कार्रवाई उच्च अधिकारियों द्वारा की जाएगी.

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