Mango cultivation: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर अनुरोध किया है कि वे मैंगो ड्रिंक बनाने वाली कंपनियों को निर्देश दें कि उनमें 18 फीसदी से 20 फीसदी तक आम का गूदा (पल्प) जरूरी रूप से मिलाया जाए. इससे न सिर्फ पेय की गुणवत्ता बढ़ेगी बल्कि किसानों से ज्यादा मात्रा में पल्प खरीदा जाएगा. 10 अक्टूबर को भेजी गई इस चिट्ठी में मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से यह भी आग्रह किया कि एपीडा (APEDA) तमिलनाडु को जरूरी ढांचागत सुविधाएं उपलब्ध कराए. इनमें एकीकृत पैक हाउस, इनलैंड कंटेनर डिपो, कोल्ड पोर्ट, क्वालिटी टेस्टिंग लैब, बायर-सेलर मीट, विदेशी खरीदारों की पहचान और निर्यात मानकों पर प्रशिक्षण कार्यक्रम शामिल हैं. एमके स्टालिन का मानना है कि अगर केंद्र सरकार उनकी मांगें मान लेती है, तो आम किसानों की कमाई बढ़ जाएगी.
मुख्यमंत्री ने अपनी पिछली चिट्ठी का हवाला देते हुए कहा कि प्रोसेसिंग के लिए उगाई जाने वाली किस्मों के आम की कीमत में भारी गिरावट और पल्प की कम खपत की वजह से किसान बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. सरकार इस बार ऐसी स्थिति दोबारा न हो, इसके लिए गंभीर है. स्टालिन ने कहा कि तमिलनाडु की मैंगो एक्सपोर्ट पॉलिसी का मकसद टेबल वैरायटी (खाने वाले आम) के निर्यात को बढ़ाना और मैंगो प्रोडक्ट्स को विविधता देना है. इसके लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जाएगा और एक्सपोर्ट प्रोसेस को बेहतर बनाया जाएगा, ताकि किसान केवल पल्प इंडस्ट्री पर निर्भर न रहें.
कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला
मुख्यमंत्री ने कहा है कि कि 24 जून को भेजी गई अपनी पिछली चिट्ठी में उन्होंने यह मुद्दा उठाया था, लेकिन अब तक इस पर कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला है. उन्होंने कहा कि इसलिए आम किसानों के हित और बड़ी संख्या में उपभोक्ताओं के लाभ को ध्यान में रखते हुए मैं अनुरोध करता हूं कि आम पर आधारित पेय पदार्थ बनाने वाली कंपनियों को निर्देश दिया जाए कि वे अपने प्रोडक्ट में कम से कम 18 से 20 प्रतिशत तक आम का गूदा (पल्प) जरूर शामिल करें, ताकि गुणवत्ता बेहतर हो सके. सीएम ने कहा कि इस मामले में प्रधानमंत्री की समय पर और सकारात्मक पहल न केवल आम किसानों के हितों की रक्षा करेगी, बल्कि बढ़ते निर्यात और वैल्यू एडिशन के जरिए देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देगी.
4 रुपये प्रति किलो की दर से आम खरीदी
बता दें कि इस साल तमिलनाडु में आम का बंपर उत्पादन हुआ था, लेकिन किसानों को उचित रेट नहीं मिला. इससे किसानों को बड़ा नुकसान झेलना पड़ा. किसानों का कहना था कि व्यापारियों ने सिर्फ 4 रुपये प्रति किलो की दर से आम खरीदने की पेशकश की, जबकि पिछले साल यही दाम करीब 25 रुपये प्रति किलो था. ऐसे में किसानों को बहुत अधिक आर्थिक नुकसान हुआ था.