पीली मटर के आयात पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब, जानिए क्यों किसानों की चिंता बढ़ी?

अदालत ने साफ किया कि किसानों की सुरक्षा जरूरी है, लेकिन उपभोक्ताओं को भी नुकसान नहीं होना चाहिए. अब अगली सुनवाई में केंद्र सरकार बताएगी कि वह पीली मटर के आयात पर क्या कदम उठाएगी.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 26 Sep, 2025 | 07:45 AM

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है कि क्या ड्यूटी-फ्री पीली मटर के आयात को रोका जाना चाहिए. किसानों का कहना है कि विदेश से सस्ती पीली मटर आने से देशी दालों के दाम गिर रहे हैं और उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से भी कम दाम पर अपनी फसल बेचनी पड़ रही है. यह मामला किसानों की आमदनी और देशी दाल बाजार की सुरक्षा से जुड़ा है, जिससे पूरे देश में चिंता बढ़ गई है.

MSP से आधी कीमत पर बिक रही आयातित मटर

बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, किसान संगठन किसान महापंचायत ने याचिका में कहा कि ड्यूटी-फ्री आयात के कारण पीली मटर देशी दालों के बाजार को नुकसान पहुंचा रही है. तूर (अरहर), चना और मूंग जैसी दालों का MSP 7,000 से 8,000 रुपये प्रति क्विंटल तय है, जबकि आयातित पीली मटर मात्र 3,500 रुपये प्रति क्विंटल तक बिक रही है. ऐसे में किसान अपनी दालें बेचने को मजबूर हैं और उन्हें लागत भी नहीं मिल रही.

याचिकाकर्ता की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने बताया कि कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) ने मार्च 2025 की अपनी रिपोर्ट में पीली मटर के आयात पर रोक और अन्य दालों पर शुल्क बढ़ाने की सिफारिश की थी. वहीं, नीति आयोग ने भी सितंबर 2025 की रिपोर्ट में चेताया था कि लगातार आयात पर निर्भर रहना देश की खाद्य सुरक्षा के लिए खतरनाक है.

न्यायालय की चिंता

सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने सवाल उठाया कि क्या देश में दालों का उत्पादन घरेलू मांग पूरी करने के लिए पर्याप्त है. उन्होंने कहा, “किसानों के पास भंडारण की सुविधा नहीं है. मजबूरी में वे जल्दी फसल बेचते हैं और MSP से भी कम दाम पाते हैं. अगर आयात रोक दिया गया तो उपभोक्ता पर बोझ बढ़ सकता है.” अदालत ने यह भी कहा कि किसानों की सुरक्षा के साथ-साथ उपभोक्ताओं की जरूरतों को भी ध्यान में रखना होगा.

किसानों की हालत बद से बदतर

याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि ड्यूटी-फ्री आयात ने किसानों की आय पर गहरा असर डाला है. कई किसान लागत से भी कम दाम पर फसल बेचने को मजबूर हैं. उन्होंने कहा, “हर ओर चिंता है… किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं. सरकार बिना ठोस कारण के आयात की अनुमति दे रही है.”

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2024 में भारत ने 6.7 मिलियन टन दालों का आयात किया, जिसमें अकेले पीली मटर की हिस्सेदारी 2.9 मिलियन टन रही. इनमें से ज्यादातर आयात MSP से कम कीमत पर हुआ, जिससे घरेलू बाजार की कीमतें टूट गईं और किसानों की कमाई घट गई.

सरकार के भीतर भी चिंता

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अगस्त में उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी को पत्र लिखकर कहा था कि पीली मटर के ड्यूटी-फ्री आयात से देशी दालों के दाम गिर रहे हैं और किसान नई बुवाई करने से हिचक रहे हैं. इससे पहले, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी 2025 के बजट भाषण में दालों में आत्मनिर्भरता के लिए छह साल का “मिशन आत्मनिर्भरता” शुरू करने की घोषणा की थी, जिसमें तूर, उड़द और मसूर पर विशेष जोर दिया गया.

संतुलन की जरूरत

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह कृषि लागत एवं मूल्य आयोग और नीति आयोग जैसी संस्थाओं की सिफारिशों को देखते हुए केंद्र से जवाब मांग रहा है. अदालत ने साफ किया कि किसानों की सुरक्षा जरूरी है, लेकिन उपभोक्ताओं को भी नुकसान नहीं होना चाहिए. अब अगली सुनवाई में केंद्र सरकार बताएगी कि वह पीली मटर के आयात पर क्या कदम उठाएगी और घरेलू दाल उत्पादन को कैसे बढ़ावा देगी.

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