रबी सीजन से पहले किसानों के लिए राहत, दाल आयात पर केंद्र सरकार लाएगी नया नियम

पिछले साल की तुलना में इस साल दाल का उत्पादन बढ़ा है, लेकिन मंडियों में दाल की कीमतें MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) से नीचे चल रही हैं. खासकर अरहर (तूर), उरद, मसूर और चना की कीमतें पिछले साल की तुलना में काफी कम हैं.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 22 Sep, 2025 | 11:36 AM

देश में दालों की कीमतें लगातार गिर रही हैं और सस्ती आयात की दालें बाजार में भर रही हैं. इस वजह से किसानों की आमदनी पर असर पड़ रहा है और रबी सीजन में उन्हें दाल की बुवाई से हिचकिचाहट हो सकती है. इस स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार पीली मटर और अन्य दालों पर आयात शुल्क लगाने की तैयारी कर रही है. इसका मकसद किसानों की आमदनी सुरक्षित करना और घरेलू बाजार को स्थिर रखना है.

सस्ती आयात और अच्छी फसल ने घटाई मंडी कीमतें

फाइनेंशियल एक्सप्रेस की खबर के अनुसार, पिछले साल की तुलना में इस साल दाल का उत्पादन बढ़ा है, लेकिन मंडियों में दाल की कीमतें MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) से नीचे चल रही हैं. खासकर अरहर (तूर), उरद, मसूर और चना की कीमतें पिछले साल की तुलना में काफी कम हैं. व्यापारियों का कहना है कि सस्ती आयात के कारण घरेलू दालों की कीमतें प्रभावित हो रही हैं और इससे किसानों की बुवाई पर असर पड़ सकता है.

पिछले सात महीनों से दालों की महंगाई नकारात्मक रही है. ऐसे में सरकार अब यह सोच रही है कि आयात पर शुल्क लगाकर बाजार में संतुलन बनाया जाए और किसानों को MSP के अनुसार उचित दाम मिल सके.

वर्तमान आयात नीति और सुझाव

अभी पीली मटर, अरहर और उरद का ड्यूटी-फ्री आयात चल रहा है, जबकि बंगाल ग्राम और मसूर पर 10 फीसदी शुल्क लागू है. लेकिन व्यापारियों और किसानों का कहना है कि बिना शुल्क के घरेलू दालों की कीमतें प्रभावित होंगी और किसान कम बुवाई करेंगे.

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी चिंता जताई है कि पीली मटर का ड्यूटी-फ्री आयात चना की कीमतों को गिरा रहा है. उन्होंने सुझाव दिया है कि पहले लागू 50 फीसदी शुल्क को फिर से लागू किया जाए.

MSP और आयात शुल्क का तालमेल

कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) का मानना है कि आयात शुल्क को MSP के अनुरूप बनाया जाना चाहिए. इससे किसानों को लाभकारी मूल्य मिलेगा और वे दाल की खेती के लिए अधिक क्षेत्र तैयार करेंगे. आयोग ने पीली मटर पर प्रतिबंध और अरहर, मसूर, उरद जैसी दालों पर आयात शुल्क बढ़ाने की सिफारिश की है.

उत्पादन और स्टॉक की स्थिति

2024-25 में भारत में दाल उत्पादन 25.23 मिलियन टन था, जो पिछले साल से 4 फीसदी अधिक है. केंद्र सरकार ने 2025-26 के लिए उत्पादन लक्ष्य 27 मिलियन टन रखा है. अगस्त 2025 तक दालों की महंगाई लगातार सात महीनों से घट रही है, खासकर अच्छी फसल और पर्याप्त आयात के कारण.

सरकार के पास बफर स्टॉक 3.5 मिलियन टन के मुकाबले फिलहाल 2.48 मिलियन टन दालें हैं. इनमें मूंग, मसूर और तूर का बड़ा हिस्सा शामिल है. दिसंबर 2023 से अब तक पीली मटर का लगभग 3.5 मिलियन टन आयात किया गया है. घरेलू उत्पादन केवल 0.45 मिलियन टन है, जो देश की मांग पूरी करने के लिए पर्याप्त है.

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