अब सिर्फ मादा बछड़े का होगा जन्म, मार्केट में आया 50 रुपये वाला सीमन.. किसानों को होगा मुनाफा

दूध उत्पादन पर आधारित राज्यों जैसे गुजरात के लिए मादा बछड़े आर्थिक रूप से बहुत अहम होते हैं, क्योंकि वही आगे चलकर दूध देती हैं और पशुधन बढ़ाने में मदद करती हैं, जबकि नर बछड़ों का डेयरी सिस्टम में सीमित उपयोग होता है.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 21 Dec, 2025 | 08:13 AM
Instagram

Animal Husbandry: गुजरात में राज्य सरकार द्वारा कीमत घटाए जाने के बाद सेक्स-सॉर्टेड सीमन के इस्तेमाल में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है. यह तकनीक किसानों को पहले से यह तय करने में मदद करती है कि बछड़ा नर होगा या मादा. इससे दूध उत्पादन बढ़ता है और आवारा पशुओं की समस्या कम करने में भी मदद मिलती है. यह तकनीक 2022- 23 से गुजरात में इस्तेमाल हो रही है, लेकिन शुरुआती दो सालों में इसका उपयोग सीमित रहा. 2022- 23 में करीब 25,746 और 2023-24 में 25,620 पशुओं को ही यह डोज दी गई. असली बदलाव 2024 में आया, जब सरकार ने एक डोज की कीमत 300 रुपये से घटाकर सिर्फ 50 रुपये कर दी. इसके बाद मांग तेजी से बढ़ी और एक ही साल में 1,30,925 पशुओं को यह डोज दी गई, जो पहले के मुकाबले लगभग पांच गुना ज्यादा है.

बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल शुरू हुई तेजी इस साल भी जारी है. मौजूदा वर्ष में अब तक एक लाख से ज्यादा पशुओं को सेक्स-सॉर्टेड सीमन  की डोज दी जा चुकी है. इसके नतीजे काफी सकारात्मक रहे हैं. इस तकनीक से जन्मे करीब 94 प्रतिशत बछड़े मादा हैं. इससे किसानों का भरोसा और मजबूत हुआ है. इस तकनीक में एक्स-क्रोमोसोम और वाई-क्रोमोसोम वाले शुक्राणुओं को अलग किया जाता है, जिससे बछड़े का लिंग काफी हद तक पहले ही तय किया जा सकता है.

गुजरात के लिए मादा बछड़े आर्थिक रूप से बहुत अहम होते हैं

दूध उत्पादन पर आधारित राज्यों जैसे गुजरात के लिए मादा बछड़े आर्थिक रूप से बहुत अहम होते हैं, क्योंकि वही आगे चलकर दूध देती हैं और पशुधन बढ़ाने में मदद करती हैं, जबकि नर बछड़ों का डेयरी सिस्टम  में सीमित उपयोग होता है. भारत सरकार के अनुसार देश में गुजरात, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में पांच सरकारी सीमन स्टेशन हैं. इसके अलावा तीन निजी सीमन स्टेशन भी सेक्स-सॉर्टेड सीमन तैयार कर रहे हैं. अब तक देश में कुल 1.28 करोड़ सेक्स-सॉर्टेड सीमन डोज का उत्पादन किया जा चुका है, जिसमें निजी क्षेत्र का योगदान भी शामिल है.

2018-19 में स्वदेशी तकनीक पर शोध और विकास शुरू हुआ

नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (NDDB) ने राज्यों में बड़े पैमाने पर अपनाए जाने से कई साल पहले ही सेक्स-सॉर्टेड सीमन तकनीक पर काम शुरू कर दिया था. NDDB की वार्षिक रिपोर्टों के मुताबिक 2018-19 में ही इस स्वदेशी तकनीक पर शोध और विकास शुरू हो गया था और इसके बाद फील्ड ट्रायल की तैयारी की गई. 2020- 21 में NDDB डेयरी सर्विसेज के जरिए इस तकनीक का व्यावहारिक इस्तेमाल शुरू हुआ, जब तमिलनाडु के आलमधी सीमन स्टेशन में तैयार सेक्स-सॉर्टेड सीमन से पहली मादा बछिया के जन्म की पुष्टि हुई. यह भारतीय परिस्थितियों में इस तकनीक की सफलता का अहम पड़ाव था.

उत्पादकता में बड़े पैमाने पर सुधार हो रहा है

इसके बाद NDDB का फोकस इस तकनीक को बड़े स्तर पर लागू करने और इसकी लागत घटाने पर रहा. NDDB की 2023- 24 की वार्षिक रिपोर्ट में ‘गौसॉर्ट’ नाम की स्वदेशी सेक्स-सॉर्टिंग मशीन के विकास का जिक्र है, जिसका मकसद किसानों के लिए सेक्स-सॉर्टेड सीमन को सस्ता और आसानी से उपलब्ध कराना है. तकनीक को देश में ही विकसित करने और व्यावसायिक रूप देने की इस पहल ने गुजरात जैसे राज्यों को कीमत घटाकर इसका तेजी से विस्तार करने का रास्ता दिखाया है, जिससे पशुपालन  की उत्पादकता में बड़े पैमाने पर सुधार हो रहा है.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

Published: 21 Dec, 2025 | 08:06 AM
Side Banner

आम धारणा के अनुसार तरबूज की उत्पत्ति कहां हुई?