पशु एक्सपर्ट के मुताबिक, ब्रायलर मुर्गियां लगभग 30 से 35 दिन में बेचने लायक हो जाती हैं, जबकि लेयर मुर्गियां कई महीनों तक अंडे देती रहती हैं. वहीं, कड़कनाथ जैसी नस्लें खुले माहौल में बेहतर बढ़ती हैं और 3 से 4 महीने में पूरी तरह तैयार हो जाती हैं.
सहकारिता आयुक्त एवं निबंधक योगेश कुमार ने कहा कि विभाग द्वारा लिए गए इस फैसले का उद्देश्य है कि किसानों को बिना लाइन में लगे, उनकी जरूरत के अनुसार खाद उपलब्ध कराई जाए. उन्होंने कहा कि किसानों को कम संसाधनों में ज्यादा सुविधा देने के लिए ये डिजिटल सिस्टम कारगर साबित होगा.