नीम खली का उपयोग संतुलित मात्रा में करें. बहुत ज्यादा मात्रा में डालने से मिट्टी में पोषक तत्वों का संतुलन बिगड़ सकता है. गर्मियों में इसे पानी में घोलकर डालना अधिक प्रभावी होता है. अगर कीट समस्या नहीं है, तो इसका बार-बार छिड़काव न करें.
वर्ल्ड कोऑपरेटिव मॉनिटर 2025 यह साबित करता है कि भारत का सहकारी मॉडल सिर्फ देश की नहीं, बल्कि दुनिया की भी जरूरत है. अमूल और इफको जैसी संस्थाएं इस बात की मिसाल हैं कि जब लोग एकजुट होकर काम करते हैं, तो हर चुनौती का समाधान संभव होता है.
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के दलहन अनुसंधान संस्थान ने दलहनडर्मा को विकसित किया है. दलहनडर्मा किसानों के लिए एक कम लागत, पर्यावरण अनुकूल और ज्यादा पैदावार देने वाला वाला समाधान है. रबी सीजन में चना समेत अन्य दलहन फसलों की खेती करने वाले किसानों के लिए यह बेहतर विकल्प बना है.
बहुत से लोग अब अपने घर की बालकनी, छत या छोटे आंगन में सब्जियां, फल और मसाले उगा रहे हैं. घर पर उगाए गए पौधे न सिर्फ ताजे और स्वादिष्ट होते हैं बल्कि पूरी तरह से रसायनमुक्त (ऑर्गेनिक) होने के कारण स्वास्थ्य के लिए भी बेहद फायदेमंद होते हैं.
अक्टूबर के अंत तक देशभर में रबी फसलों का कुल रकबा 15 प्रतिशत बढ़कर लगभग 76 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है. यह वृद्धि कृषि क्षेत्र के लिए एक सकारात्मक संकेत मानी जा रही है, खासकर तब जब पिछले कुछ महीनों में अनियमित बारिश और बाढ़ जैसी चुनौतियों ने किसानों को काफी प्रभावित किया था.
आर्का हरिता किस्म के लिए दोमट या बलुई दोमट मिट्टी अच्छी होती है. खेत में नमी हमेशा बनी रहनी चाहिए. इससे फसल की ग्रोथ अच्छी होती है. ध्यान देने वाली बात यह है कि मिर्च के खेत में कभी भी जलभराव नहीं होना चाहिए.