इस साल मानसून ने अच्छा साथ दिया है. 1 जून से 28 जुलाई के बीच देशभर में औसतन 7 फीसदी ज्यादा वर्षा हुई है. खासकर मध्य भारत और उत्तर-पश्चिमी राज्यों में सामान्य से काफी अधिक बारिश हुई, जिससे बुवाई का काम समय पर शुरू हो पाया.
खेतों में बुवाई का समय है, लेकिन खाद नहीं मिलने से किसान हताश हैं. कर्नाटक में किसानों ने मिट्टी खाकर विरोध प्रदर्शन किया. जबकि, बैतूल में कालाबाजारी रोकने के लिए सख्ती बढ़ाई गई है.
जिला कृषि अधिकारी मोहम्मद मुजम्मिल ने बताया कि बॉर्डर से सटे इलाकों से उन्हें लंबे समय से खाद तस्करी की शिकायतें मिल रही थीं. उन्होंने आगे बताया कि शुरुआती जांच में पता चला है कि ट्रक से खाद देवरिया जिले से लाई गई थी
नकली खाद का जाल पूरे देश में फैल रहा है. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार और राजस्थान के किसान भारी नुकसान झेल रहे हैं.
मूंगफली DH-256 ऐसी किस्म है जो मात्र 110 से 115 दिनों के अंदर ही किसानों को 25 क्विंटल तक पैदावार देती है. इसकी खासियत है कि यह पछेती पत्ती धब्बा, स्पोडोप्टेरा और थ्रिप्स जैसे रोगों और कीटों के प्रति सहनशील है.
सरकार को यूरिया का जो बोरा 3000 रुपये में मिल रहा है, वह किसानों को सिर्फ 300 रुपये में मुहैया कराया जा रहा है. किसानों को सस्ती खाद दिलाने के लिए अब तक 12 लाख करोड़ खर्च किए जा चुके हैं.