केंद्र सरकार कम दरों पर किसानों को यूरिया मुहैया कराए जाने के मसले का जिक्र किया है. सरकार 2014 से किसानों के हित में फैसले लेती आ रही है. साथ ही बताया कि कैसे सरकार की तरफ से खेती के लिए बजट में 10 गुना तक का इजाफा किया गया है. कहा गया कि पहले किसानों को यूरिया मांगने पर लाठी मिलती है और रात भर कतारों में खड़े रहने को मजबूर होना पड़ता था. लेकिन अब सरकार की तरफ से आसानी से उन्हें यूरिया उपलब्ध कराई जा रही है.
किसानों को नहीं होने दी कमी!
केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय की ओर से कहा गया कि वह दिन गए जब खाद या उर्वरक की खेप किसानों के नाम पर ली तो जाती थी लेकिन खेतों तक नहीं पहुंचती थी. उनकी मानें तो कई लोग इस बीच में खाद का घपला कर जाते थे. कहा गया कि कोविड महामारी के दौरान जब पूरी दुनिया खाद की कमी का सामना कर रही थी तो उस समय भी भारत में किसानों को यह उपलब्ध कराई जा रही थी. उन्होंने यह भी जानकारी दी कि आज भी किसानों को जरूरत के अनुसार खाद मिल रही है.
10 गुना कम कीमत पर खाद
पीएम ने कहा कि सरकार ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था के हर पहलू को छूने की कोशिश की है. उन्होंने किसान को एक मजबूत स्तंभ बताया और कहा कोविड के दौरान यूरिया के दाम दुनियाभर में अनाप-शनाप तरीके से बढ़ गए. वहीं सरकार को यूरिया का जो बोरा 3000 रुपये में मिल रहा है, वह किसानों को सिर्फ 300 रुपये में मुहैया कराया जा रहा है. उनकी मानें तो किसान को सस्ती खाद मिले, इसके लिए सरकार 12 लाख करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है. सरकार सब्सिडी के जरिये किसानों को सस्ती दरों पर यूरिया मुहैया कराती है.
खाद पर कैसे मिलती है सब्सिडी
भारत सरकार की तरफ से किसानों को उचित मूल्य पर उर्वरक उपलब्ध कराने के लिए सब्सिडी दी जाती है. सब्सिडी का भुगतान सीधे उर्वरक कंपनियों को किया जाता है, जो फिर इसका फायदा किसानों को देती हैं. सरकार की तरफ से यूरिया, डीएपी और म्यूरेट ऑफ पोटाश (एमओपी) जैसे उर्वरकों की लागत पर सब्सिडी मिलती है. वहीं, फॉस्फेटिक और पोटासिक (पीएंडके) जैसे उर्वरकों के लिए भी सब्सिडी मिलती है. साथ ही ऑर्गेनिक खाद, बायो-फर्टिलाइजर और बाकी ऑर्गेनिक विकल्पों पर भी सब्सिडी मुहैया कराई जाती है.
यूक्रेन युद्ध से बढ़ी मुसीबत
साल 2023 में आधिकारिक सरकारी वेबसाइट के अनुसार, इंपोर्टेड यूरिया के लिए उर्वरक सब्सिडी में यूरिया की 100 फीसदी आयात लागत का भुगतान, 98 फीसदी अग्रिम दावा और संयोजित यूरिया की आयात लागत का 2 फीसदी शेष दावा और 90 फीसदी अग्रिम और 10 फीसदी समुद्री माल ढुलाई दावों का निपटान किया गया था. पहले कोविड और फिर यूक्रेन युद्ध की वजह से यूरिया के दामों में बेतहाशा इजाफा हुआ है लेकिन इसके बावजूद सरकार का दावा है कि उसने यह सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि देश में किसानों को यूरिया और अन्य खाद्यान्नों की कमी का सामना न करना पड़े.