क्या पंजाब में खाद की हो रही है कालाबाजारी, 2324 यूरिया विक्रेताओं की होगी जांच.. ये है वजह

केंद्र सरकार के आदेश के तहत पंजाब कृषि विभाग को इन चिन्हित विक्रेताओं के संचालन और बिक्री रिकॉर्ड की जांच कर 5 अगस्त तक रिपोर्ट सौंपनी है. अभी सभी जिलों में जांच चल रही है.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 29 Jul, 2025 | 05:09 PM

पंजाब कृषि विभाग राज्य के सभी 23 जिलों में 2,324 यूरिया विक्रेताओं की जांच कर रहा है. यह जांच केंद्र सरकार के रसायन और उर्वरक मंत्रालय के निर्देश पर शुरू की गई है, क्योंकि कुछ विक्रेताओं द्वारा यूरिया की बिक्री में अचानक बढ़ोतरी को लेकर चिंता जताई गई थी. होशियारपुर के मुख्य कृषि अधिकारी दीपिंदर सिंह का कहना है कि संगरूर जिले में सूची में शामिल 259 विक्रेताओं की जांच करनी है, क्योंकि यहां यूरिया की खपत पिछले साल की तुलना में ज्यादा पाई गई है. हमें यह खास तौर पर देखना है कि यूरिया किसानों को ही सही तरीके से बेचा गया है और इसका इस्तेमाल कहीं उद्योगों में तो नहीं हो रहा.

हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, दीपिंदर सिंह को जांच के लिए संगरूर जिले की जिम्मेदारी सौंपी गई है. उन्होंने कहा कि उद्योगों को यूरिया तय दाम पर खरीदना होता है, जबकि किसानों को सब्सिडी वाला यूरिया मिलता है. अगर किसी ने सब्सिडी वाला यूरिया गलत तरीके से इस्तेमाल किया तो उस पर सख्त कार्रवाई होगी.

जांच के बाद 5 अगस्त तक रिपोर्ट सौंपी जाएगी

केंद्र सरकार के आदेश के तहत पंजाब कृषि विभाग को इन चिन्हित विक्रेताओं के संचालन और बिक्री रिकॉर्ड की जांच कर 5 अगस्त तक रिपोर्ट सौंपनी है. इसके बाद, 25 जुलाई को कृषि और किसान कल्याण विभाग, पंजाब की ओर से जारी एक पत्र में अधिकारियों की जिम्मेदारियां तय की गई हैं, जिनमें मुख्य कृषि अधिकारी और कृषि विकास अधिकारी शामिल हैं. खास बात यह है कि जिलों के मुख्य कृषि अधिकारियों का फेरबदल भी किया गया है. उन्हें 1 अगस्त तक ‘एक्शन टेकन रिपोर्ट’ (Action Taken Report) भेजने के निर्देश दिए गए हैं.

मिली जानकारी के अनुसार, इस जांच का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि खाद, खासकर सब्सिडी वाले यूरिया का वितरण पूरी तरह पारदर्शी और सही तरीके से हो. इसके साथ ही, इसका मकसद किसी भी तरह के दुरुपयोग या गलत दिशा में उपयोग को रोकना है, क्योंकि यूरिया खेती के लिए एक अहम इनपुट है.

पंजाब को 2 लाख टन डीएपी की जरूरत

बीते जून महीने खबर सामने आई थी कि पंजाब में खाद की भारी किल्लत है. खास कर किसान डीएपी (डायअमोनियम फॉस्फेट) खाद की भारी कमी का सामना कर रहे हैं. ऐसे खरीफ सीजन में धान और मक्का की फसल के लिए राज्य को कुल 2 लाख मीट्रिक टन डीएपी की जरूरत होती है, लेकिन 31 मई तक सिर्फ 47,000 मीट्रिक टन ही उपलब्ध कराया गया था. अप्रैल में 16,000 मीट्रिक टन और मई में 31,000 मीट्रिक टन खाद केंद्र सरकार ने राज्य को भेजा था.

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Published: 29 Jul, 2025 | 05:05 PM

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