Mandi Bhav: ड्राइवर संघ की हड़ताल से सब्जियां महंगी, 110 रुपये किलो परवल.. जानें टमाटर, भिंडी का रेट

ओडिशा में ड्राइवरों की हड़ताल से सब्जियों की कीमतें बेकाबू हो गई हैं. टमाटर, फूलगोभी, भिंडी और बीन्स जैसी सब्जियां महंगी होकर आम जनता की पहुंच से बाहर हो गई हैं.

नोएडा | Published: 11 Jul, 2025 | 06:32 PM

Vegetable Price Hike: ओडिशा में ड्राइवर संघ की जारी हड़ताल से कई जिलों में पेट्रोल और उर्वरक जैसी जरूरी चीजों की सप्लाई पर असर पड़ा है. लेकिन सबसे ज्यादा सब्जियों की बढ़ती कीमत ने लोगों को परेशान कर दिया है. खास कर गंजाम जिले में सब्जियों की कीमत सातवें आसमान पर पहुंच गई है. यहां पर टमाटर 50 से 60 रुपये किलो बिक रहा है. जबकि, फूलगोभी की कीमत 100 से 110 रुपये किलो हो गई है. ऐसे में कई परिवारों ने हरी सब्जियों से दूरी बना ली है. इसकी जगह वे दूसरे विकल्प तलाश रहे हैं. बात अगर बीन्स की करें तो यह 150 से 160 रुपये किलो बिक रही है.

सब्जियों की कीमत में लगी आग

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सब्जियों की कीमत  बढ़ने से आम जनता के किचन का बजट बिगड़ गया है. महंगाई का आलम यह है कि भिंडी का रेट 60 से 65 रुपये किलो हो गया है. इसी तरह सहजन 100 से 110 रुपये किलो हो गया है. जबकि लोबिया 100 से 110 रुपये किलो, करेला 80 से 90 रुपये किलो, चिचिंडा 80 से 90 रुपये किलो और परवल की कीमत 100 से 110 रुपये किलो हो गई है. वहीं, व्यापारियों का कहना है कि अगर इसी तरह से हड़ताल जारी रही, तो कीमतों में और बढ़ोतरी हो सकती है.

यूरिया की ढुलाई रुक गई

हड़ताल की वजह से मध्यम वर्गीय परिवारों की जेब पर असर पड़ रहा है. यहां तक कि होटल और रेस्टोरेंट्स भी महंगाई से जूझ रहे हैं. थोक व्यापारियों ने कहा कि दाम बढ़ने की वजह सप्लाई चेन में रुकावट है. वहीं, हड़ताल के चलते कोरापुट, मलकानगिरी और नबरंगपुर जैसे आदिवासी जिलों में यूरिया की ढुलाई रुक गई है, जिससे खरीफ की फसल खतरे में पड़ गई है. इन जिलों में किसानों ने मई और जून में मक्का और धान की बुवाई की थी, लेकिन अब फसल के महत्वपूर्ण बढ़ाव के चरण में उन्हें टॉप ड्रेसिंग के लिए यूरिया की सख्त जरूरत है.

मालगाड़ी में फंसी 2,600 टन यूरिया 

तीन दिन पहले एक रैक में करीब 2,600 टन यूरिया जेयपोर रेलवे स्टेशन पहुंची थी, लेकिन हड़ताल के कारण स्टॉक अभी तक मालगाड़ियों में फंसी हुई है. IFFCO के अधिकारी स्टॉक की सुरक्षा कर रहे हैं, क्योंकि उसे न तो उतारा जा सकता है और न ही एग्री आउटलेट्स तक पहुंचाया जा सकता है. ऐसे में किसानों की भी चिंता बढ़ गई है. उन्हें डर है कि अगर समय पर खाद की सप्लाई नहीं हुई, तो फसल को नुकसान भी पहुंच सकता है. हालांकि, प्रदेश में किसान तेजी से धान की रोपाई कर रहे हैं. पहले वे अधिक बारिश से परेशान थे. लेकिन अब खाद की किल्लत की संभावना ने उन्हें और परेशान कर दिया है.