राजस्थान के अलवर जिले में किसानों ने बीज उत्पादन के क्षेत्र में नया इतिहास रच दिया है. जो किसान कभी महाराष्ट्र और गुजरात से प्याज के बीज मंगवाते थे, अब वही किसान अपने खेत में खुद का प्याज बीज तैयार कर रहे हैं और देशभर के किसानों को बेचकर लाखों रुपये कमा रहे हैं. किशनगढ़बास तहसील के जाटका गांव के किसान सुधीर कुमार इस बदलाव की मिसाल हैं. उन्होंने प्याज के बीज उत्पादन को ऐसा मुनाफे का धंधा बना दिया है जिससे 1 बीघा में 4 लाख तक की कमाई संभव हो रही है.
पहले थे बाहर के बीज पर निर्भर
कुछ साल पहले तक अलवर के किसान प्याज की खेती के लिए पूरी तरह महाराष्ट्र और गुजरात जैसे बाहरी राज्यों से आने वाले बीजों पर निर्भर थे. इन बीजों की कीमत पहले ही काफी ज्यादा होती थी, ऊपर से उन्हें मंगवाने में परिवहन का अलग खर्च भी जुड़ जाता था. सबसे बड़ी दिक्कत तब आती थी जब रास्ते में पौध खराब हो जाते थें. किसान सुधीर किसान इंडिया से बातचीत के दौरान बताते हैं कि कई बार तो उन्हें एक नहीं, दोहरा नुकसान उठाना पड़ता था. इससे बीज की लागत भी जाती और पौध तैयार भी नहीं हो पाते थें.
अब खुद तैयार कर रहे हैं बीज
पिछले 8–9 सालों में किसान सुधीर ने प्याज की पचगंगा बादशाह वैरायटी का बीज खुद तैयार करना शुरू कर दिया. वे आगे बताते हैं कि अब यह बीज सिर्फ अपनी खेती के लिए नहीं, बल्कि दूसरे किसानों को भी बेच रहे हैं. उनका तैयार किया गया बीज राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात के कई जिलों में खूब बिक रहा है. इससे उन्हें दोहरा फायदा हो रहा है. पहला बीज खरीदने का खर्च बचता है और दूसरा बिक्री से अच्छी आमदनी भी होती है.
पचगंगा बीज से 1 बीघे में 4 लाख रुपये तक की कमाई
सुधीर बताते हैं कि उन्होंने ढाई बीघा खेत में प्याज के बीज की खेती की है. वह ‘पचगंगा बादशाह’ किस्म का बीज तैयार कर रहे हैं, जो सिर्फ 4 महीने में तैयार हो जाता है. इसकी किस्म की सबसे बड़ी खासियत यह है कि एक बीघा से 3 से 4 लाख रुपये तक की आमदनी हो जाती है. किसान सुधीर कहते हैं कि आज उन्हें प्याज की फसल से ज्यादा फायदा बीज बेचने से हो रहा है. इस बीज की मांग राजस्थान, यूपी, एमपी, महाराष्ट्र और गुजरात से लगातार आ रही है.
जैविक खाद से तैयार होता है बीज
सुधीर का कहना है कि वह प्याज के बीज पूरी तरह जैविक तरीके से तैयार करते हैं. शुरुआत में खेत में गोबर की खाद और जरूरी उर्वरक डालकर प्याज के कण बोए जाते हैं. जैसे-जैसे पौधा बढ़ता है, उसकी समय पर निराई-गुड़ाई, सिंचाई और पोषण का ध्यान रखा जाता है. किसान सुधीर का कहना है कि पोटाश और जिंक जैसे सूक्ष्म पोषक तत्व प्याज की क्वालिटी को बेहतर बनाते हैं और बीज को मजबूत और स्वस्थ बनाते हैं. यही वजह है कि उनके बीज की बाजार में अच्छी मांग है.
देशभर से आ रही है मांग
सुधीर ने बताया कि पिछले 6 सालों से उनका पंचगंगा बीज न केवल अलवर बल्कि तिजारा, बानसूर, खैरथल से लेकर हरियाणा के नारनौल तक पहुंच रहा है. दूसरे राज्यों से भी किसान उनके पास सीधे बीज खरीदने आते हैं. साल-दर-साल बीज की मांग और विश्वास दोनों बढ़ता जा रहा है.
बाजार में सुधीर के प्याज बीज की जबरदस्त मांग
जब प्याज का बीज पूरी तरह तैयार हो जाता है तो उसे सावधानी से सुखाया जाता है और फिर टिन या शेड में सुरक्षित रखा जाता है ताकि उसकी क्वालिटी बनी रहे. फिलहाल सुधीर के शेड में बीज रखा गया है, जिसे जल्द ही किसान खरीदने आने वाले हैं. उनके इस नवाचार से साबित होता है कि अगर किसान तकनीक, मेहनत और सही सोच के साथ खेती करें तो परंपरागत फसल से भी बड़ा मुनाफा कमाया जा सकता है. लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं.