बस्ती जिले के महसो गांव के रिंकू सोनकर ने राजनीति छोड़ खेती को अपनाया और ऑर्गेनिक सब्जियों की खेती से हर साल लाखों रुपये की कमाई कर रहे हैं. पढ़िए रिंकू की कहानी.
गढ़वा जिले के आनंद प्रकाश ने तीन एकड़ बंजर जमीन पर आम के पेड़ लगाकर न सिर्फ पर्यावरण को संजीवनी दी, बल्कि लोगों को रोजगार भी दिया. अब यह इलाका हरियाली से भर गया है और लोग वहां शुद्ध हवा में सांस ले रहे हैं.
किसान इंडिया से बात करते हुए किसान विजेंद्र ने बताया कि पॉली हाउस खेती के लिए उन्होंने सबसे पहले जानकारी जुटाई. जिसमे उनकी मदद परंपरागत खेती के अनुभव ने भी की.
फुलेरा गांव के अमर भहडा पर्यावरण प्रेमी हैं. पेड़ों की कटाई रोकने से लेकर पर्यावरण को संतुलित करने तक का संकल्प करने वाले अमर अबतक 2 लाख से ज्यादा पेड़ लगा चुके हैं.
बंजर जमीन पर आम के बाग लगा कर लाखों कमाने वाले शिक्षक तपन कुमार मांझी की यह कहानी न सिर्फ प्रेरणा देती है, बल्कि यह भी साबित करती है कि अगर इरादे मजबूत हों तो मिट्टी भी किस्मत बदल देती है.
राजस्थान के रहने वाले रिटायर्ड प्रिंसिपल शिवप्रसाद ने काले गेहूं की खेती शुरू की है. इसके बीज उन्होंने पंजाब से मंगवाए थे.जानें कैसे मिली खेती करने की प्रेरणा.