शहरों में रहने वालों के लिए यह पौधा किसी तोहफे से कम नहीं. सिर्फ एक छोटे गमले में लगाने पर भी यह पौधा 3 से 4 किलो तक बैंगन और टमाटर दे सकता है.
लखीमपुर खीरी के किसान अचल मिश्रा ने खेती में वैज्ञानिक सोच, इकोलॉजिकल इंजीनियरिंग को अपनाकर लागत कम करने में सफलता हासिल की है. जबकि, गन्ना पैदावार का रिकॉर्ड भी बनाया है.
जहां देश भर के शहर इस हरियाली के संकट से जूझ रहे हैं, वहीं बीकानेर जैसे शुष्क और मरुस्थलीय क्षेत्र में एक शख्स ने न केवल हरियाली उगाई है, बल्कि जलवायु-स्थायित्व का एक जीवंत मॉडल भी प्रस्तुत किया है.
बुंदेलखंड के बांदा में रामबाबू तिवारी और ग्रामीणों ने सूखे तालाबों को जिंदा कर 500 बीघा जमीन पर मेड़बंदी की, खेतों में नमी और हरियाली लौटाई. तालाब महोत्सव और पानी चौपाल जैसे शानदार प्रयास जल संरक्षण को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहे हैं.
उत्तर प्रदेश में बांदा के सफल किसान प्रेम सिंह अब अपनी खेती की तकनीक को इजराइल जैसे देशों के किसानों को सिखा रहे हैं. उनकी देसी कृषि पद्धतियों ने न केवल भारत में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ध्यान आकर्षित किया है.
गुलमोहर ईको रिसॉर्ट, जो अब जैविक खाना, ग्रामीण अनुभव और बुंदेली संस्कृति के कारण देशभर के सैलानियों को आकर्षित कर रहा है.