Cow Dung Startup : अगर सोच सकारात्मक हो, तो मिट्टी से भी सोना बन सकता है. लेकिन मध्यप्रदेश की विदिशा की कुछ महिलाओं ने तो इस कहावत को सच कर दिखाया है. उन्होंने गाय के गोबर से ऐसा स्टार्टअप खड़ा किया है, जिसने लोगों की सोच ही बदल दी. गोबरशाला नाम के इस स्टार्टअप ने न सिर्फ गांव की महिलाओं को रोजगार दिया, बल्कि गोबर से बने सजावटी और धार्मिक सामानों से पूरे देश में पहचान बनाई.
गोबर से निकला नया गौ-धन
गाय का गोबर, जिसे लोग पहले बेकार समझते थे, आज कमाई का बड़ा जरिया बन गया है. गोबरशाला स्टार्टअप की महिलाओं ने इस वेस्ट को बेस्ट बना दिया. उन्होंने गोबर से दीये, लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां, वॉल क्लॉक, अगरबत्ती, पूजा सामग्री और यहां तक कि एक खास एंटी-रेडिएशन चिप तक तैयार कर डाली. दीपावली पर इस स्टार्टअप ने तीन लाख से ज्यादा गोबर से बने दीये बेचे. यह सिर्फ व्यापार नहीं, बल्कि प्रकृति और परंपरा से जुड़ी नई सोच का उदाहरण है.

सह-संचालिका शिल्पी नामदेव
महिलाओं का कमाल- आत्मनिर्भरता की मिसाल
गोबरशाला को संचालित करने वाली महिलाएं पहले गृहिणी थीं, लेकिन अब वे आत्मनिर्भर उद्यमी बन चुकी हैं. स्टार्टअप की सह-संचालिका शिल्पी नामदेव बताती हैं कि यह विचार गांव की महिलाओं की आजीविका सुधारने के साथ पर्यावरण बचाने का भी जरिया है. वह कहती हैं- गाय का गोबर सिर्फ खाद नहीं, एक आशीर्वाद है. इससे बने उत्पाद घरों में सकारात्मक ऊर्जा फैलाते हैं. आज गोबरशाला से जुड़ी दर्जनों महिलाएं अपने हुनर से कमाई कर रही हैं. कई महिलाएं पहली बार अपने परिवार की आर्थिक मदद कर पा रही हैं. यह मिशन लखपति दीदी जैसी सरकारी योजनाओं की भावना से भी मेल खाता है.
गोबर से बनी घड़ी और मूर्तियां, पूरे देश में मांग
सबसे ज्यादा चर्चित प्रोडक्ट है- गोबर से बनी वॉल क्लॉक, जो पूरी तरह पर्यावरण अनुकूल है. यह न सिर्फ आकर्षक दिखती है, बल्कि बाजार में एक अनोखा तोहफा भी बन चुकी है. दीपावली के मौके पर लोगों ने इस घड़ी को गिफ्ट करने के लिए खूब ऑर्डर किया. साथ ही, लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियों और पारंपरिक दीयों की इतनी मांग रही कि उत्पादन टीम को रात-दिन काम करना पड़ा. शिल्पी नामदेव बताती हैं- हमारे बनाए हुए उत्पाद पूरी तरह प्राकृतिक हैं, इनमें कोई हानिकारक रसायन नहीं होता. यही वजह है कि लोग इन्हें बड़ी संख्या में खरीद रहे हैं.

गोबर से निकला नया गौ-धन
एंटी-रेडिएशन चिप और वैज्ञानिक सोच का मेल
गोबरशाला टीम ने एक अनोखी एंटी-रेडिएशन चिप भी बनाई है, जो मोबाइल से निकलने वाली हानिकारक किरणों को कम करने में मदद करती है. इस चिप को जेब या मोबाइल कवर में रखने से शरीर पर रेडिएशन का असर कम होता है. वैज्ञानिक दृष्टि से भी गाय के गोबर में कई प्राकृतिक तत्व पाए जाते हैं, जो नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करते हैं. स्टार्टअप का उद्देश्य सिर्फ व्यापार नहीं, बल्कि गोबर के वैज्ञानिक उपयोग को समाज तक पहुंचाना भी है.
मुख्यमंत्री की सराहना और बढ़ता नाम
विदिशा के इस स्टार्टअप की सफलता इतनी प्रभावशाली रही कि राज्य के मुख्यमंत्री ने खुद गोबरशाला टीम को सम्मानित किया. सरकार की वेस्ट टू वेल्थ नीति को जमीन पर उतारने में यह स्टार्टअप रोल मॉडल बन चुका है. आज गोबरशाला न सिर्फ मध्यप्रदेश बल्कि देशभर के लिए एक प्रेरणा है कि कैसे छोटे संसाधनों से बड़ा बदलाव लाया जा सकता है.