गांव की महिलाओं ने गोबर से बनाया बिजनेस.. नेचुरल पेंट की खूब बिक्री, दूसरे राज्यों से मिल रहे ऑर्डर

डूबते को तिनके का सहारा ही काफी होता है- ये कहावत तो आपने सुनी ही होगा, लेकिन इसे सच करने का काम किया है मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले की कुछ महिलाओं ने, जिनके नवाचार ने उनकी जिंदगी बदल दी. खास बात ये है कि उनके इस नवाचार में जिला प्रशासन ने उनकी कोशिशों को पंख देने का काम किया है.

अनामिका अस्थाना
नोएडा | Published: 2 Oct, 2025 | 02:15 PM

Madhya Pradesh News: देश की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त करने और उनके व्यावसाय को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प और लोकल फॉर वोकल को ग्वालियर की कुछ महिलाओं ने सच कर दिखाया है. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बताया कि ग्वालियर की इन महिलाओं ने आजीविका मिशन से जुड़कर बड़़ी, पापड़ और अचार जैसे कामों से आगे बढ़कर अब गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाना शुरू कर दिया है, जो एक अनोखी पहल है. इन महिलाओं का ये नवाचार न केवल उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बना रहा है बल्कि अन्य महिलाओं को भी अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए प्रेरित कर रहा है. खास बात ये है महिलाओं द्वारा तैयार किए जा रहे पेंट की मांग अन्य राज्यों में भी है.

गोबर से बना रहीं प्राकृतिक पेंट

एमपी के ग्वालियर जिले के भितरवार विकासखंड की खेड़ापति स्व-सहायता समूह  (Self Help Groups)से जुड़ी महिलाओं ने सक्रियता दिखाते हुए एक साथ मिलकर गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने की शुरुआत की है. उनके इस नवाचार को न केवल सराहना मिल रही है बल्कि वे खुद भी आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं. आजीविका मिशन से जुड़ी इन महिलाओं ने प्राकृतिक पेंट बनाकर एक अनोखी और सफल पहल की है जो कि पूरी तरह से पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए शुरू की गई है. बता दें कि, गोबर से बनाए जाने वाले इस पेंट में किसी भी तरह के हानिकारक केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. यह पेंट दीवारों को सु्ंदर तो बनाता ही है साथ ही मात्र 4 घंटे में सूख भी जाता है.

जिला प्रशासन से मिला सहयोग

ग्वालियर की इन महिलाओं की कोशिश को पंख देने का काम किया जिला प्रशासन ने, यहां की कलेक्ट्रेट रुचिका चौहान ने समूह की महिलाओं को इस काम के लिए प्रेरित करते हुए उन्हें तकनीकी ट्रेनिंग और मार्केटिंग में सहयोग दिया. आज प्राकृतिक पेंट का उत्पादन स्थानीय स्तर पर रोजगार के साथ पर्यावरण-अनुकूल विकल्प साबित हो रहा है. स्वयं सहायता समूह से जुड़ी इन महिलाओं ने आजीविका मिशन के माध्यम से आत्मनिर्भरता की सच्ची मिसाल पेश की है.

महिलाओं के जीवन में आया बदलाव

समूह की सदस्य संध्या बताती हैं कि पहले समूह की महिलाएं केवल घर तक सीमित थी लेकिन अब अपने हाथों से बने पेंट को बेचकर अच्छा मुनाफा पैदा कर रही हैं. इतनी ही नहीं, उन्होंने बताया कि उनकी इस पहल से बच्चों की पढ़ाई और घर के खर्च में भी मदद मिल रही है. संध्या का कहना है कि प्राकृतिक पेंट बनाने की ट्रेनिंग से महिलाओं को नया हुनर मिला है, जिसकी लोग सराहना भी करते हैं. वे बताती हैं कि इन प्राकृतिक पेंट्स की मांग अब दूसरे राज्यों में भी है. महिलाओं की इस पहल को बढ़ावा देने के लिए प्रशासन भी सरकारी कार्यालयों एवं संस्थानों में इसके इस्तेमाल पर जोर दे रहा है ताकि आने वाले समय में ये पहल प्रदेश और देश, दोनों के लिए प्रेरणा बन सके.

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